पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi)

Loading

👀 इस पेज पर नीचे लिखा हुआ पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi) आप को अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए निबंध लिखने में सहायता कर सकता है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयों पर हिंदी में निबंध मिलेंगे (👉 निबंध सूचकांक), जिन्हे आप पढ़ सकते है, तथा आप उन सब विषयों पर अपना निबंध लिख कर साझा कर सकते हैं


पुस्तकालय पर निबंध
Library Essay In Hindi


🗣️ पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi) पर यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए और अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लिखा गया है।

प्रस्तावना

पुस्तकालय शब्द से अभिप्राय एक ऐसे स्थान से है जहाँ विभिन्न विषयों, उपविषयों, समसामयिकी इत्यादि पर पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्रों को पाठकों के पढ़ने के लिए व्यवस्थित रूप से रखा जाता है। 

पुस्तकालय शब्द का संधि विच्छेद करने पर यह पुस्तक+आलय प्राप्त होता है। यहां पुस्तक का अर्थ किताबों से है व आलय का अर्थ है घर या स्थान अर्थात पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ पुस्तकों को रखा जाता है। 

पुस्तकालय की संकल्पना

कहा जाता है कि पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं जिनके साथ व्यक्ति अपना समय व्यतीत कर सकता है। अतः पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है जो प्रत्येक विद्यार्थी एवं पढ़ने के इच्छुक व्यक्ति को पढ़ने हेतु पुस्तकें एवं आवश्यक वातावरण उपलब्ध कराता है। 

प्राचीन समय में जब मुद्रण की सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी, तब पुस्तकों को हाथ से लिखकर ही प्रयोग में लाया जाता था और मुद्रण सुविधा उपलब्ध ना होने के कारण पुस्तकों की संख्या भी कम हुआ करती थी। इन्हीं कारणों से पुस्तकों को खरीदने के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती थी जिससे आम व्यक्ति उन्हें खरीदने में समर्थ नहीं था। इन समस्याओं के निवारण हेतु ही पुस्तकालय जैसे स्थान की संकल्पना की गयी। 

वर्तमान समय में हुई  प्रगति के साथ पुस्तकालय का स्वरूप भी बदलता गया। विभिन्न प्रकार की पुस्तकों का संग्रह आज पुस्तकालयों में होने लगा है। पुस्तकों के माध्यम से विविध भाषाओं और विचारों को हम सभी तक पहुँचाने में पुस्तकालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। 

पुस्तकालयों के प्रकार

जहाँ भी पुस्तकों व पत्रिकाओं का समूह एकत्रित किया जाए और विभिन्न प्रकार की पाठ्य सामग्री उपलब्ध हो, वही पुस्तकालय है। 

प्रकाशकों एवं पाठकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पुस्तकालयों को विभिन्न छोटे या बड़े स्वरूपों में निर्मित किया जा सकता है। कुछ स्वरूपों के विषय में निम्न प्रकार से समझा जा सकता है –

  1. निजी पुस्तकालय – यह उन पुस्तकालयों की श्रेणी में आते हैं जिन्हें व्यक्ति स्वयं के लिए अपने घर में एक कक्ष में बनाता है। इसमें वह वे पुस्तकें रखता है जो उसकी रुचि से संबंधित हों एवं जिनकी सहायता से वह घर पर शिक्षा ग्रहण कर सके। 
  1. विद्यालयीन पुस्तकालय – यह वह पुस्तकालय हैं जो किसी न किसी विद्यालय अथवा महाविद्यालय से संबंध रखते हैं। यहाँ विद्यार्थी प्रतिदिन अपने-अपने विषयों से संबंधित सामग्री का चयन करके उन्हें आवंटित कराकर पढ़ सकते हैं। यहाँ शिक्षक भी पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं इत्यादि का अध्ययन कर सकते हैं। 
  2. सार्वजनिक पुस्तकालय – यह ऐसे पुस्तकालय हैं जो आमजन अर्थात सभी पाठकों के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं। इस पुस्तकालय में जाकर  सभी पाठक आवश्यक पाठ्य सामग्री का अध्ययन कर सकते हैं।
  1. ई-पुस्तकालय – यह आज के दौर का एक आभासी (वर्चुअल) पुस्तकालय है। वर्तमान में डिजिटल टेक्नोलॉजी की माँग बढ़ने के कारण इन पुस्तकालयों का निर्माण हुआ। यह ऐसे पुस्तकालय हैं जिनका प्रयोग घर बैठकर कंप्यूटर, लैपटॉप एवं मोबाइल आदि के द्वारा किया जा सकता है। इन पुस्तकों का दृश्य-श्रव्य दोनों प्रकार से अध्ययन किया जा सकता है। ऑडियो बुक्स का प्रचलन आज काफी अधिक हो चुका है। इसका एक प्रमुख उद्देश्य वैज्ञानिक व शोध कार्यों को एकत्रित और संरक्षित कर विद्यार्थियों व शिक्षकों तक उपलब्ध कराना है। 

कुछ प्रसिद्ध ई-पुस्तकालयों का विवरण निम्न प्रकार है –

  1. नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडिया।
  2. यूनिवर्सिटी डिजिटल लाइब्रेरी।
  3. डायरेक्टरी ऑफ ओपन एक्सेस बुक।
  4. इंटरनेट आर्चीव।
  5. ब्रिटिश काउंसिल ऑनलाइन लाइब्रेरी।
  6. दिल्ली यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी सिस्टम।

पुस्तकालय शिष्टाचार एवं सामान्य नियम –  

पुस्तकालयों में पठन सुविधाजनक बनाने और पुस्तकों को व्यवस्थित रखने के लिए पुस्तकालय अपने-अपने नियम बनाते हैं जिनका पालन प्रत्येक पाठक हेतु अनिवार्य होता है। 

पुस्तकालयों के कुछ सामान्य नियम व शिष्टाचार निम्नलिखित हैं –

  1. पुस्तकालय में जाने वाले विद्यार्थियों को विद्यालय/विश्वविद्यालय से मिला पहचान पत्र साथ लेकर जाना चाहिए।
  2. यदि आप किसी अन्य विद्यालय या महाविद्यालय का दौरा करते हैं तो आपको पुस्तकालय का प्रयोग करने के लिये एक प्रार्थना पत्र के साथ अपना एवं अपने विद्यालय/महाविद्यालय का विवरण व भ्रमण का उद्देश्य बताना आवश्यक है।
  3. पुस्तकालय में विभिन्न श्रेणी की पुस्तकों को देखने व ढूंढने के लिए सूचीपत्र का प्रयोग करना चाहिए जिससे बिना क्रम बिगाड़े कम समय में पुस्तकों को ढूँढा जा सके।
  4. पुस्तकालय का वातावरण शांत रखना चाहिए जिससे अन्य पाठकों को अध्ययन में बाधा ना आये।
  5. पुस्तकों, पत्रिकाओं पर पैन, पेंसिल नहीं चलाना चाहिए एवं किताबों के पृष्ठ कभी नहीं फाड़ने चाहिए। ऐसा करने पर, पाठक को उचित आर्थिक दंड दिया जा सकता है।
  6. पुस्तकालयों की निश्चित अवधि होती है जिसका पालन सभी पाठकों को करना चाहिए।
  7. दी गयी अवधि के अंदर ही पुस्तक वापस कर देनी चाहिए अन्यथा पुस्तकालय द्वारा आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।

पुस्तकालय के लाभ 

  1. पढ़ने के लिए उचित वातावरण मिलता है।
  2. विभिन्न प्रकार की पुस्तकें पढ़ने का अवसर प्राप्त होता है।
  3. शांत वातावरण के कारण एकाग्रता से अध्ययन कर सकते हैं।
  4. सभी विद्यार्थियों को पढ़ने के समान अवसरों की प्राप्ति होती है।
  5. समसामयिकी का ज्ञान प्राप्त होता है।
  6. समाचार पत्र व पत्रिकाओं को पढ़ने का अवसर मिल जाता है।
  7. शोध संबंधी विषयों के शोध प्रबंध को पढ़ने का अवसर मिलता है।

उपसंहार

यद्यपि पुस्तकालय एक ज्ञान प्राप्ति का पावन स्थान है परंतु कई पाठकों द्वारा इसे हँसी ठिठोली का स्थान बना लिया जाता है जिससे अन्य पाठकों को कई बार असुविधा का सामना करना पड़ता है।

अतः हम सभी को पुस्तकालय के नियमों एवं शिष्टाचार का पालन करते हुए इसका लाभ उठाना चाहिए एवं अपने ज्ञान का संवर्धन करना चाहिये।


👉 यदि आपको यह लिखा हुआ “पुस्तकालय पर निबंध” पसंद आया हो, तो इस निबंध (Library Essay In Hindi) को आप अपने दोस्तों के साथ साझा करके उनकी मदद कर सकते हैं


👉 आप नीचे दिये गए छुट्टी पर निबंध पढ़ सकते है और आप अपना निबंध साझा कर सकते हैं |

छुट्टी पर निबंध
लॉकडाउन में मैंने क्या किया पर निबंधछुट्टी का दिन पर निबंध
गर्मी की छुट्टी पर निबंधछुट्टी पर निबंध
ग्रीष्म शिविर पर निबंधगर्मी की छुट्टी के लिए मेरी योजनाएँ पर निबंध

विनम्र अनुरोध:

इस तरह “पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi)” यहीं पूरा होता है। हमने अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए पूरी कोशिश की है कि इस हिंदी निबंध में किसी भी प्रकार की त्रुटि ना हो। फिर भी यदि आप को इस निबंध में कोई गलती दिखती है तो आप अपना बहुमूल्य सुझाव ईमेल के द्वारा दे सकते है। ताकि हम आपको निरन्तर बिना किसी त्रुटि के लेख प्रस्तुत कर सकें।

Leave a Comment