गाय पर निबंध हिंदी में (Essay Cow Hindi Language)

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गाय पर निबंध हिंदी में
Essay Cow Hindi Language


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प्रस्तावना

एक मनुष्य होने के नाते हमारे लिये अन्य जीव भी बेहद महत्व रखते हैं। चाहे उनसे हमें सीधे तौर पर कोई लाभ होता हो अथवा नहीं। उन्हीं कुछ प्राणियों में गाय का अपना स्थान बहुत बड़ा है। गाय को हम अपने दैनिक जीवन में देखते ही हैं। यह एक पालतू जानवर है। गाय से हमें दूध मिलता है। जिसका बहुत बड़े पैमाने पर देश भर में व्यापार होता है। गाय को हमारे देश में माता की संज्ञा दी गई है किसी अन्य जंतु को नहीं। इस प्रकार गाय का महत्व सांस्कृतिक, आर्थिक व सामाजिक तौर पर भी बहुत है। आइये गाय के संबंध में अन्य बातें व हमारे जीवन में इसकी उपस्थिति को थोड़ा और नजदीकी से जानते हैं।

गाय एक पालतू पशु

विश्व में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो गाय को पालते हैं। उसे चारा खिलाते हैं व उसका ख्याल रखते हैं। हालांकि एक सत्य यह भी है कि इनमें से अधिकतर लोग अपने फायदे व व्यापार के लिये गाय को उपयोग में लाते हैं। जब गाय बूढ़ी हो जाती है तो उसे लाचार छोड़ दिया जाता है। हम सभी इंसानों के लिये यह बेहद शर्मनाक है। बहरहाल गायपालकों के मध्य यह एक प्रथा सी बन चुकी है। इसीलिये आवारा घूमती गायों को संरक्षण प्रदान करने के लिये गौशालाओं का निर्माण कराया जा रहा है। यह कार्य सरकार के द्वारा कराया जा रहा है।

गाय के शारीरिक ढाँचे की बात करें तो यह काफी मजबूत और सशक्त प्राणी है। भैंस की अपेक्षा गाय अधिक चुस्त व फुर्तीली होती है। सभी अन्य पशुओं की भाँति इसके चार पैर, पूँछ व दो सींग होते हैं। गाय को विभिन्न प्रकार की नस्लों में वर्गीकृत किया जा सकता है। केवल भारत में ही तीस से अधिक नस्लें पायी जाती हैं। इनमें प्रमुखत: गिर, सिन्धी, साहिवाल, थारपारकर व देवनी आदि नाम शामिल हैं। गाय का स्वभाव बहुत ही शांत होता है। अन्य पशुओं की तुलना में जब इसे भोजन नहीं दिया जाता तो भी यह अपनी राह चुपचाप चली जाती है।


सांस्कृतिक व आर्थिक क्षेत्र में गाय का महत्व

गाय से मिलने वाला दूध स्वास्थय वर्धक व उच्च प्रोटीन तथा कैल्शियम आदि का स्रोत होता है। कासकर बच्चों के लिये यह आवश्यक माना जाता है। गाय के दूध का दैनिक व्यापार क्षेत्र में बहुत बड़ा महत्व है। भारत में वर्ष 2018-19 में करीब 180 मिलियन टन से अधिक दूध का उत्पादन हुआ था जिसमें से आधे से अधिक भाग गायों के दूध का है। इससे सैकड़ों-हजारों लोग अपनी आजीविका कमाते हैं। न केवल गाय का दूध ही मनुष्यों के काम आता है। बल्कि गाय के गोबर से भी तरह तरह की औषधियों का निर्माण किया जाता है। आयुर्वेद व भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का ज्ञान रखने वाले कुछ मनीषी आज भी गाय के गोबर व गौमूत्र का उपयोग विभिन्न औषधियों के निर्माण में करते हैं।

अक्सर यह देखा व सुना जाता है कि कुछ लोग गाय के अंगों को बेचकर धनार्जन करने की शर्मनाक कोशिश करते हैं। कानून की नजर में भी किसी पशु का ऐसा उपयोग अपराध है। हमारे शास्त्रों में वर्णन है-

गो हत्यां ब्रह्म हत्यां।

अर्थात गौहत्या ब्रह्महत्या के समान है। सांस्कृतिक तौर पर दृष्टि डालें तो गाय का आदिकाल से हमारे देश में माता का दर्जा का दिया जाता रहा है। हमारे देश में कामधेनू व नंदिनी जैसी सर्वगुणों वाली गाय बी किसी समय में मौजूद रही हैं। इसका एक प्रतीक यह भी है कि हमारे हिंदू धर्म में जिन तीन स्तंभों की बात कही गई है। उनमें गाय भी शामिल है। गाय से भगवान श्री कृष्ण का भी पुराना अटूट नाता रहा है। उनके गाय के प्रति इसी अद्भुत संबधों के कारण उन्हें गोपाल की संज्ञा दी जाती है। गाय के अंदर 33 कोटि देवी-देवताओं का साक्षात वास माना गया है। यह कोई कल्पना नहीं है। बल्कि एक प्रतीक है कि गाय इस सृष्टि का सबसे अनोखा जानवर है। 


आवारा गोवंश का प्रबंधन

जैसा कि हम जानते हैं कि गायों से हमारे देश की आर्थिक स्थिति व सांस्कृतिक इतिहास जुड़े हुए हैं। इसीलिये गोवंश का उचित प्रबंधन करना हमारे लिये एक बड़ी चुनौती है। यह समाज के स्तर पर बहुत बड़ा खतरा है। यदि लालची व बेईमान लोग अपने फायदों के पूर्ति करने के पश्चात गायों का खुला छोड़ देते हैं तो यह हम सभी के लिये शर्मनाक है। इसीलिये आवारा गोवंश की स्थिति से बेहतर ढंग से निपटने के लिये गौशालाएं बनायी जा रही हैं। इनमें गायों का ख्याल अच्छे से रखा जाता है। कुछ स्वयंसेवक भी इस प्रकार की गौशालाओं में कुछ समय  के लिये अपनी सेवाएं देते हैं।

वर्तमान सरकार इस क्षेत्र हर संभव काम कर रही है। परन्तु केवल सरकार के करने से ही अच्छे परिणाम आ जाएंगे ऐसी कल्पना करना बेकार है। हम सभी को अपनी ओर से छोटे-छोटे प्रयास करने ही चाहिए। उदाहरण के लिये आज भी कई ऐसे लोग हैं जो अपने घर के द्वार पर आय़ी गाय को रोटी या कुछ और खिला देते हैं। इसी कार्य को थोड़ा आगे बढ़ाकर करें तो हम उस गाय को निकट किसी गौशाला में छोड़ कर आ सकते हैं। इसके साथ ही उस गौशाला मे नियमित कुछ योगदान या खाने की वस्तुएं दे सकते हैं। जिससे गौशाला कर्मों पर अतिरिक्त बोझ न हो।

उपसंहार

गाय बहुत शांत स्वभाव का जानवर है। मनुष्यों के बाद यदि कोई सबसे शांत जानवर है तो वह गाय ही है। गाय का महत्व बहुत ही बड़ा है। गाय भले ही खुद हमारे घर तक न आती है पर उसका दूध जरूर आता है। हमारा गाय से जुड़ाव इसी से समझा जा सकता है। कहते हैं अपने जीवन काल में एक गाय व्यक्ति को जितना लौटाती है उतना व्यक्ति उसके लिये नहीं देता। आशा है आप सभी को गाय के निबंध से लाभ मिला होगा। 

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