राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध हिंदी में (Essay of Peacock in Hindi)

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राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध हिंदी में
Essay of Peacock in Hindi


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प्रस्तावना

विश्व में सैकड़ों प्रकार के जानवर व पक्षी मौजूद हैं। इनमें पक्षियों की संख्या भी बहुत अधिक है। आज लगभग सभी पक्षियों को हम जानते हैं व उनके बारे में जानकारी हासिल है। हमारे आसपास भी कई पक्षी पाये जाते हैं। इनमें मोर बेहद आकर्षक और खूबसूरत पक्षी है। हालंकि शहरों में इनकी संख्या कम ही होती है फिर भी किन्हीं पेड़-पौधों से भरी जगहों पर ये हमें दिख जाते हैं। मोर को मयूर भी कहा जाता है। यह हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी भी घोषित किया गया है। विश्व में कई जगहों पर मोर पाये जाते हैं परंतु तुलनात्मक रूप से भारत मे इनका बाहुल्य है। आइये अब मोर के संबंध में रोचक व ज्ञानवर्धक जानकारी से परिचित होते हैं।

पक्षियों का राजा मोर

आप जानते होंगे कि मोर सुंदर व आकर्षक होने के कारण ही पक्षियों का राजा माना जाता है। इसकी सुंदरता के कारण ही इसे हमारे राष्ट्रीय पक्षी की संज्ञा दी गई है। मोर के पंख विभिन्न रंगों के होते हैं। इसके पंख को बहुत शुभ माना जाता है। इसे वर्षा ऋतु अत्यंत प्रिय होती है। वर्षा ऋतु में मोर नृत्य भी करता है। यह एकांत में नृत्य करना अधिक पसंद करता है। चूँकि इसका स्वभाव शर्मीला होता है तो किसी व्यक्ति के आने पर नृत्य बंद कर झाड़ियों में छिप जाता है।


मोर का शारीरिक वर्णन व भोजन

मोर की औसत लंबाई डेढ़ मीटर तक की होती है। अधिकांश भारतीय मोर की लंबाई कम ही होती है। मोर का रंग गहरा नीला व हरा होता है। इसके अलावा इसके पंखों में अलग-अलग रंग होते हैं। सिर पर एक कलंगी होती है जिसमें रंग-बिरंगे पंख लगे हुए होते हैं। मोर का औसत वजन पाँच से दस किलो ग्राम तक होता है। मोर का भोजन साँप व कीट-पतंग आदि होते हैं। यह विभिन्न तरह के अनाजों, फल व सब्जियों को भी खा लेता है।

मोर के पंखों की संख्या लगभग सौ से दो सौ तक होती है। इसके पंख बहुत ही कोमल स्पर्शी होते हैं। मादा मोर से कहीं अधिक खूबसूरत नर मोर होता है। मोर अपने वजन को सहन नहीं कर सकता इसीलिये यह आसमान में ज्यादा ऊँचाई तक उड़ भी नहीं पाता। इसे अन्य प्राणियों की अपेक्षा अधिक एकांतवासी व शर्मीला पक्षी कहा जाता है। 


मोर का सांस्कृतिक इतिहास व महत्व

यूँ तो हर प्राणी का अपना अपना जीवन व महत्व होता है। पर मनुष्य होने के नाते मोर से हमारे संबंध भी हैं। प्राचीन समय की बाते करें तो भगवान श्रीकृष्ण मोर के ही पंखों को अपने मुकुट/सिर पर धारण करते थे। इसके अलावा भी कई अन्य भारतीय राजा-महाराजा मोर के पंखों को उपयोग करने के शौकीन थे। मौर्य वंश में सम्राट चंद्रगुप्त ने अपने नगर के सिक्कों पर मोर का चित्र अंकित करवाया था और मुगल बादशाह शाहजहाँ ने भी अपने सिंहासन को मोर के आकार का ही डिजाइन करवाया था। इससे हमें ज्ञात होता है कि मोर एक बेहद पसंद किया जाने वाला आकर्षक व सुंदर पक्षी है।इ सके अलावा भी मोर को हिन्दू धर्म के विभिन्न देवी-देवताओं से संबंधित माना गया है। जैसे भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का बाहन मोर को ही कहा जाता है।


विश्व में मोर की चिंताजनक स्थिति

सभी प्राणियों की भांति आज मोर भी अधिक संख्या में अब धरती पर शेष नहीं हैं। इनकी स्थिति बेहद खराब और चिंताजनक होने का मूल कारण हम मनुष्य ही हैं। हम मोरों का भी शोषण व उन्हें अपने फायदों के लिये उपयोग करते हैं। मोर के सुंदर पंखों की लालच में लोग उनका उपयोग करते हैं। अनेक लोग उन्हें पक़ड़कर पैसे कमाने के लिये बेच देते हैं। हालांकि यह सब गैर-कानूनी है और इसका विरोध भी किया जाता है। फिर भी घटनाओं पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाई है। अब भी भारत में ही मोरो की संख्या लगभग हजारों में हैं। ये मोर अधिकतर जंगल के इलाकों में पाये जाते हैं। भारत में पाये जाने वाले मोर को नीला मोर भी कहा जाता है। इसका साइंटिफिक नाम पैवो क्रिस्टैटस है। विश्व भर में मोरों की संख्या काफी कम है।


उपसंहार

मोर एक अत्यंत आकर्षक और सभी लोगों द्वारा पसंद किया जाने वाला पक्षी है। यह बहुधा अधिकांश लोगों को देखने को नहीं मिलता। चिड़ियाघरों में भी इनके लिये बड़े-बड़े पेड़ों व खाली मैदानों का स्थान मुहैया कराया जाता है। मोर को हम अपने भारतीय सांस्कृतिक इतिहास का प्रतीक मानते हैं। यही कारण है कि इसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा प्रदान किया गया है। भारत सरकार मोरों के अस्तित्व को बचाने के लिये अधिकाधिक सरंक्षण व उचित पर्यावरण की व्यवस्थाओं के लिये प्रतिबद्ध है। आशा है फिर से मोर हमें हमारे आसपास के घने वृक्ष समूहों पर देखने को मिलेंगे।

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