Essay on Karwa Chauth in Hindi | करवा चौथ पर निबंध

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करवा चौथ पर निबंध
Essay on Karwa Chauth in Hindi

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करवाचौथ भारतीय महिलाओं का एक प्रमुख त्यौहार है। सभी भारतीय महिलाएं चाहे वो किसी भी प्रदेश व क्षेत्र की हों, इस त्यौहार को अवश्य मनाती हैं। अगर आप अपने स्कूल या किसी प्रतियोगिता के लिए इस विषय पर निबंध तैयार कर रहे हैं तो करवाचौथ पर आधारित यह निबंध आपको बहुत मदद देगा।

प्रस्तावना(Introduction)

भारत में विभिन्न प्रकार के त्यौहार समय समय पर मनाये जाते हैं। कहा भी जाता है कि हमारे यहाँ हर दिन एक उत्सव होता है, जो कि सच भी है। इनमें से कुछ त्यौहार वो होते हैं जिन्हें हम अपने सगे सम्बन्धियों, परिवार जनों और जीवनसाथी आदि के साथ मनाते हैं। इन्हीं से ही एक त्यौहार करवाचौथ है। करवाचौथ के दिन महिलायें अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। यह त्यौहार पति-पत्नी के रिश्ते को एक ऊँचाई व मजबूती भी देता है। आइये अब जानते हैं करवाचौथ के कुछ पहलुओं और इसके महत्व के बारे में-

करवाचौथ मनाने की तिथि (Date of celebrating Karva Chauth)

हिंदू पंचांग के अनुसार करवाचौथ कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है। इन दिन के संबंध में कई कहानियां भी प्रचलित हैं जिनके बारे में हम आगे जानेंगे। ज्ञातव्य यह है कि इस साल 2022 में करवाचौथ की तारीख 13 अक्टूबर को है।

करवाचौथ का महत्व (Importance of Karva Chauth)

करवाचौथ का जितना महत्व एक पत्नी के लिए होता है, उतना ही महत्व पति के लिए भी होता है। क्यूंकि पति पत्नी का संबंध बहुत गहरा होता है। हिंदू धर्म में इसे अनंत जन्मों का संबंध माना जाता है। पति-पत्नी दोनों एक दूसरे को पूर्ण करते हैं। इसलिए आरंभ से ही महिलाएं इसे बहुत प्रेम व तत्परता के साथ मनाती हैं।

करवाचौथ के दिन सभी विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं। इस दिन वे सूर्योदय से पहले ही कुछ फल आदि खाती हैं जिसे सरगी कहा जाता है। इसके बाद सुबह से लेकर शाम तक भोजन और पानी कुछ भी ग्रहण नहीं करतीं। यह व्रत एक प्रकार से निर्जला उपवास होता है।

करवाचौथ के दिन सभी सुगाहिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और अच्छे तरीक़े से संजती संवरती हैं। इसके अलावा कुछ कुंवारी लड़कियां भी, इस विश्वास से की उन्हें अच्छा जीवनसाथी मिलेगा, करवाचौथ का व्रत रखती हैं।

करवाचौथ की कथा (Story of Karva Chauth)

करवाचौथ के संबंध में अनेक कथाएं समय के साथ प्रचलित हो गई हैं। परंतु फिर भी इनमें कुछ समानता होती है। यहां करवाचौथ से संबंधित एक मुख्य कथा दी गई है।

करवाचौथ कथा

काफी समय पहले एक साहूकार के साथ पुत्र और एक पुत्री थी। सातों भाई अपनी एकमात्र बहन को बहुत स्नेह करते व उसका ख्याल रखते। एक बार जब उनकी बहन करवा अपने मायके आती तो उसने वहीं पर करवाचौथ का व्रत रखा। संध्या तक भूख और प्यास से करवा की तबियत बिगड़ने लगी तो उसके छोटे भाई ने किसी प्रकार से झूठा चंद्रमा बनाकर व्रत तोड़कर भोजन करने को कहा। करवा ने भी‌ उसे चंद्रोदय समझकर अपना व्रत तोडा और भोजन करने लगी।

लेकिन भोजन के कुछ कौर खाने के पश्चात् उसे सूचना मिली कि उसके पति की असमय मृत्यु हो गई। करवा को लगा कि उसी के व्रत तोड़ने की वजह से भगवान ने उसका पति छीन लिया। इसके बाद करवा प्रतिज्ञा करती है कि वो अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व के बल पर जीवनदान दिलाएगी।

इसके बाद करवा अपने पति के शव की देखभाल करती है। अगले करवाचौथ पर जब उसकी सभी भाभियां व्रत रखती हैं तो वह उनसे कहती है मुझे भी अपनी तरह सुगाहिन बनने का आशीर्वाद दे दो। सभी से आशीर्वाद लेते हुए जब वह अपनी छोटी भाभी से कहती है तो वो करवा की तपस्या से संतुष्ट हो जाती है और अपनी कनिष्का उंगली को चीरकर रक्त को उसके पति के मुख पर डाल देती है और उसका पति जी उठता है। अपने पति को पुनर्जीवन देने के लिए वो भगवान गणेश, शिवजी और माता पार्वती को धन्यवाद देती है।

करवाचौथ की पूजा (Karva Chauth Worship)

करवाचौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दौरान वे पूरे दिन निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। तथा शाम के समय तक निराहार रहती हैं। जब रात्रि में चन्द्रमा का उदय होता है तो अपने पति को छलनी के माध्यम से देखती हैं तो पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं। और चंद्रदेव से पति की दीर्घायु व सफलता के लिए प्रार्थना करती हैं।

इसके उपरांत करवों तथा अन्य सामग्रियों जैसे रोली, चावल, गेंहू आदि चीजों से अपनी परंपरागत विधि से पूजन करती हैं। किसी भी प्रकार की पूजा अर्चना से पूर्व श्री गणेश का पूजन शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती से पति की दीर्घायु और सफल जीवन की कामना करती हैं। ज्यादातर घरों में बहुएं विभिन्न साज सिंगार के सामान तथा साड़ी आदि दक्षिणा स्वरूप अपनी सास को भेंट करती हैं और उनका आशीर्वाद लेती हैं।

उपसंहार (Conclusion)

भारतीय महिलाओं के लिए करवाचौथ का अवसर बेहद खास होता है। वे इसे परंपरा की सिर्फ एक कड़ी नहीं मानती बल्कि एक खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए ऐसे अवसरों को आवश्यक भी समझती हैं। हालांकि अब करवाचौथ जैसे त्योहारों को भी कई लोगों द्वारा त्यागा जा रहा है परंतु वहीं बड़ी तादाद में ऐसे भी लोग हैं जो अपनी संस्कृति और परम्पराओं को जीवित रखने के लिए करवाचौथ को गर्व से मनाते हैं और अन्यों को भी प्रेरित करते हैं। इसी प्रकार हमें भी ऐसे त्योहारों को मनाकर अपने व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन स्तर उठाना चाहिए। धन्यवाद।

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