Lohri essay in hindi | लोहड़ी पर निबन्ध

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लोहड़ी पर निबन्ध | Lohri essay in hindi
लोहड़ी पर निबन्ध | Lohri essay in hindi

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लोहड़ी पर निबन्ध
Lohri essay in hindi

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प्रस्तावना :

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है क्योंकि भारत में साल भर में कई प्रकार के त्योहार मनाये जाते हैं। इसी तरह लोहड़ी का पर्व (Lohri Festival Essay in Hindi) भी यहां मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। उत्तर भारत के लोगों के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार लोहड़ी (Lohri Festival) भी है। खासकर पंजाबियों के लिए यह त्योहार बहुत अधिक मायने रखता है। इसे सभी धर्मों के लोग बहुत प्रेम से मनाते हैं। लोहड़ी को किसानी त्योहार भी कहा जाता है। lohri essay in hindi में हम लोहड़ी के बारे में और आगे जानेंगे। तो lohri essay in hindi या लोहड़ी पर निबंध हिंदी में ज़रूर पढ़ें। 

लोहड़ी मनाए जाने का दिन :

लोहड़ी को लोग मकर सक्रांति की पूर्व संध्या को मनाते हैं। लोहड़ी विशेषकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा और इसके आसपास के राज्यों में मनाया जाता है। इन राज्यों के अलावा यह त्योहार भारत के विभिन्न प्रदेशों में भी मनाया जाता है। मकर सक्रांति के दिन तमिलनाडू में हिंदू लोग पोंगल का त्योहार मनाते हैं। लोहड़ी के त्योहार को हर राज्यों में अलग अलग नाम से जाना जाता है। लोहड़ी के त्योहार को बहुत ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

लोहड़ी मनाने का तरीका :

लोहड़ी के दिन सभी लोग नए नए कपड़े पहनते हैं। इस त्योहार के दिन घर के बच्चे पैसे, खिलौने और खाने पीने की चीज़ों की मांग करते है। इसके साथ ही वह लोहड़ी के लिए ढेर सारे उपले और लकड़ियां इकट्ठा करते हैं। इसके बाद उनका ढेर बनाकर इकट्ठा कर लेते हैं। फिर रात के समय उसे जलाकर चारो ओर उसकी परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करते हुए सभी लोग गीत गाते और नाचते हैं।

इसके साथ ही सुख और समृद्धि के लिए भगवान अग्नि और सूर्य से प्रार्थना करते हैं। इसमें हर मां अपने बच्चे को गोद में लेकर परिक्रमा करती है। ऐसा करने से बच्चे को किसी की नजर नहीं लगती। परिक्रमा करने वाले लोग लोहड़ी के अग्नि में गज्जक, लावा, तिल, पॉपकॉर्न, रेवड़ी और मूंगफली आदि की आहुति भी देते हैं।लोहड़ी के त्योहार में किसान अपने नए फसल का थोड़ा अंश लोहड़ी के अग्नि में आहुति के रूप में डालते हैं। पूजा समारोह के बाद सभी अपने मित्रों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों आदि से मिलते हैं। वे एक दूसरे को बधाई और बहुत सारी शुभकामनाओं के साथ उपहार भी देते हैं।

इसके अलावा सभी लोगों में मूंगफली, लावा, तिल, रेवड़ी आदि चीजें वितरित की जाती है। चूंकि लोहड़ी के बाद का दिन माघ महीने की शुरुआत का संकेत है, इसलिए इसे माघी दिन कहा जाता है। इस पवित्र दिन पर लोग गंगा में डुबकी लगाते है और गरीबों को दान देते हैं। वे घर में नए बच्चे के जन्म और नवविवाहित जोड़े के लिए खास दावत की व्यवस्था करते हैं।

लोहड़ी मनाने का महत्व :

Importance of Lohri – लोहड़ी मनाने के कई महत्व होते हैं। फसल काटने और इकट्ठा करके घर लाने से पहले, किसान लोहड़ी त्योहार का खूब आनंद लेते हैं। यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार जनवरी के मध्य मे पड़ता है,जब सूर्य पृथ्वी से दूर होता है। लोहड़ी का त्योहार सर्दी खत्म होने और वसंत के शुरु होने का सूचक है। पूरे जीवन में सुख और समृद्धि पाने के लिए लोग इस त्योहार को जश्न की तरह मनाते हैं।

यह सबसे शुभ दिन माना जाता है, जो मकर राशि में सूर्य के प्रवेश को इंगित करता है। लोहड़ी त्योहार भगवान सूर्य के साथ साथ आग को भी समर्पित है। यह बहुत बड़ा त्योहार है, जो सभी के लिए एकता और भाईचारे की भावना लाता है। पृथ्वी पर सुखी और समृद्ध जीवन देने के लिए लोग इस दिन भगवान को धन्यवाद भी देते हैं।

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लोहड़ी मनाने के पीछे का लोक मान्यताएँ :

लोहड़ी मनाने के पीछे का इतिहास (Lohri Festival History) बहुत पुराना है। मान्यता है कि लोहड़ी की रात साल की सबसे लंबी रात होती है। तब से लगातार दिन बड़ी और रातें धीरे-धीरे छोटी होना शुरू हो जाती है। लोहड़ी मनाने के पीछे कई कारण एवं लोक मान्यताएँ भी जुड़ी हैं। पंजाबियों में लोहड़ी मनाने को लेकर बहुत सारे किस्से हैं। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि लोहड़ी का पर्व “लोई” (संत कबीर की पत्नी) की स्मृति में भी मनाया जाता है और लोई के नाम से ही लोहड़ी का निर्माण हुआ है। 

पहले लोहड़ी को कई लोग तिरोड़ी भी कहा करते थे। तिरोड़ी शब्द की उत्तपत्ति तिल और रोड़ी ( गुड़ से बनी रोटी) शब्द के संयोजन से हुआ है। लेकिन अब इसे हर स्थान पर लोहड़ी के नाम से जी जाना जाता है। यह भी कहा जाता है कि देश के किसान नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रूप में लोहड़ी मनाते हैं। 

लोहड़ी से सम्बंधित पौराणिक कथा :

Lohri Festival Hindi Essay – लोहड़ी मनाने के पीछे कई पौराणिक एवं ऐतिहासिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। लोहड़ी का त्योहार मनाने का एक और विश्वास यह भी है कि लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के नाम पर हुआ। लोग मानते हैं कि होलिका भले ही आग में जलकर मर गई लेकिन उसकी बहन बच गयी थी। इसलिए इस दिन लोहड़ी मनाया जाता है।

अतिरिक्त इस पर्व से भगवान श्री कृष्ण और राक्षसी लोहिता की कथा भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि मथुरा के कंस ने भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नाम की राक्षसी को भेजा था। भगवान श्री कृष्ण ने खेल – खेल में ही लोहिता नामक राक्षसी का अंत इसी दिन किया था । इसलिए इस दिन पर्व मनाया जाता है।

लोहड़ी से जुड़ी ऐतिहासिक कथा :

कहा जाता है कि राजा अकबर के समय में एक डाकू था। उस डाकू का नाम था दुल्ला भट्टी। वह अमीर लोगों के घरों से धन चोरी करता था और गरीब लोगों को बांट देता था। वह गरीब और असहाय लोगों के लिए नायक की तरह था। उसने उन लड़कियों के जीवन को बचाया, जो अजनबियों द्वारा जबरन अपने घर से दूर ले जायी गयी थी। 

एक किस्से के मुताबिक सुंदरी और मुंदरी नाम की दो बहनें थीं। वे अपने चाचा के साथ रहती थीं। उनके चाचा ने उनके बड़े होने पर उनकी विधिवत शादी करवाने के बजाय एक राजा को भेंट स्वरूप देना चाहा। दुल्ला भट्टी नाम के उस डाकू ने दोनों लड़कियों को राजा को भेंट देने से बचा लिया। इसके बाद उसने दोनों के लिए अच्छे वर ढूंढे और उनकी विधिवत शादी करवाई। उसने असहाय लड़कियों की उनके विवाह में दहेज का भुगतान कर उनकी मदद की। उसके महान कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए लोगों ने लोहड़ी त्योहार मनाना शुरू कर दिया।

उपसंहार :

लोहड़ी का त्योहार हमारे अंदर नई शुरुआत करने और जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने की उम्मीद जगाता है। यह सभी धर्मों के लोगों के बीच प्यार बढ़ाता है। यह पंजाब में बहुत भी ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे भारत देश में भी इसे धूमधाम के साथ लोग परिवार सहित मनाते हैं। देश के अलग- अलग हिस्सों में यह त्योहार भिन्न – भिन्न नामों से मनाया जाता है। उम्मीद है कि lohri essay in hindi या लोहड़ी पर निबन्ध आपको अच्छा लगा होगा। 

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