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भारतीय स्वतंत्रता के 75 साल
Essay on 75 years of Indian Independence in Hindi
🌈 भारतीय स्वतंत्रता के 75 साल – 75 years of Indian independence पर यह निबंध class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए और अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लिखा गया है।
प्रस्तावना (Introduction) :-
ये हम सभी जानते हैं कि हमारा प्यारा देश भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था। तब से लेकर अब तक इस दिन को बड़े धूमधाम से उत्सव के रूप में मनाया जाता है क्योंकि यह दिन हमारी आजादी का दिन है। इस बार वर्ष, 2022 में हम अपने देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं, जिससे देश में कई बदलाव हुए हैं। इन 75 वर्षों में हमारे देश की सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सामाजिक स्थितियों में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिले हैं। इन 75 वर्षों में देखने को मिलता है कि स्वतंत्रता मिलने के बाद देश ने कई उपलब्धियाँ हासिल की तो कुछ खामियाँ भी मिली तथा कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित भी हुई है।
भारत की आजादी के बाद 75 वर्षों के दौरान जो परिवर्तन देखने को मिले हैं, वह वाक़्क़ई काफी महत्वपूर्ण एवं हर दृष्टि से सही हैं। आज भारत दुनिया के बड़े आर्थिक महाशक्तियों की सूची में भी आता है। भारत विश्व में एक सशक्त राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाने में भी सफल हुआ है। भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष के दौरान देश में जो परिवर्तन देखे गए, उन्हें निम्नलिखित रुप से देखा जा सकता है –
1. महिलाओं में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता (Awareness among women about their rights):-
भारत में स्वतंत्रता के पूर्व महिला शोषित और पीड़ित थी। उन दिनों महिलाओं को अपने अधिकारों का ज्ञान नहीं था। जिस कारण न व शिक्षा को समझती थी ना ही शिक्षा के महत्व को। आजादी से पूर्व महिलाओं में शिक्षा को लेकर कोई आकांक्षा नहीं थी।ज्यादातर स्त्रियां खुद को हर क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में बहुत ही कमजोर और अबला समझती थी।
स्वतंत्रता के पश्चात बदलाव हुए कई नई-नई नीतियां चलाई गई, महिलाओं को उनका अधिकार दिया गया। उन्हें उनके अधिकारों से अवगत कराया गया। जिससे महिला सशक्त बने और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो। महिलाओं में शिक्षा का महत्व बढ़ा। उन्हें अपने प्रत्येक अधिकार जैसे शिक्षा, समानता तथा अन्य अधिकारों का ज्ञान हुआ। महिलाओं को भी अपने कर्तव्यों का आभास हुआ। जिससे महिलाएं भी हर क्षेत्र में चाहे नौकरी हो या पढ़ाई हो, अंतरिक्ष छूना हो या समुद्र नापने, पर्वतों पर चढ़ना सभी जगह पुरुषों की बराबरी कर आगे बढ़ने लगी।
इसके अलावे आजादी के बाद महिलाएं भी देश की राजनीति में हिस्सा लेने लगी जिससे राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी। आज बड़े बड़े सरकारी पदों पर महिलाएं भी काम करती हैं। कई राज्यों तथा पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीट की व्यवस्था की गई है। इस प्रकार स्वतंत्रता के साथ देश में ही नहीं बल्कि महिलाओं के जीवन जीने के ढंग में भी महत्वपूर्ण बदलाव हुए।
2. आजादी के बाद देश बना डिजिटल और बढ़ा शिक्षा का महत्व (After independence, the country became digital and the importance of education increased) :-
स्वतंत्रता के पहले देश अंग्रेजों का गुलाम था जिसके कारण इसका विकास रुक चुका था। दिन प्रतिदिन अत्याचार और उत्पीड़न देखने को मिलता था। जिससे प्रति व्यक्ति विकास दर घट ही रही थी। स्वतंत्रता के पश्चात देश में विकास की गति लगातार बढ़ने लगी जिससे शिक्षा, संस्कृति, सामाजिक, राजनीतिक तथा अन्य क्षेत्रों में विकास होने लगा। जनगणना के एक आंकड़ा के अनुसार स्वतंत्रता के पहले साक्षरता दर 12% थी, लेकिन भारत में अब साक्षरता दर 74.04% है। जागरूकता आने से हमारे देश में हरित क्रांति जैसे कई कार्यक्रम हुए।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देखा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में साक्षरता दर बढ़ रही है। पुरुषों की साक्षरता दर जहां 82.14% है वहीं पर महिलाओं की साक्षरता दर 65.46% हो गई है। इसके अलावा देश में डिजिटलीकरण होने से खाद्यान्न उत्पादन चार गुना की बढ़ोतरी से होने लगी, साथ ही अंतरिक्ष कार्यक्रम भी सफल हुए एवं कोरोना जैसे अन्य महामारी पर विजय पाया गया।
3. प्रत्येक व्यक्तियों को मतदान का अधिकार (Right to vote for every person) :-
राजनीति में अपनी भागीदारी निभाना तथा देश के लिए मतदान और अपने नेतृत्वकर्ता का चुनाव करना सबका अपना अधिकार है।इसे किसी से भी छीना नहीं जा सकता। हमारा देश भारत दुनिया भर के देशों में सबसे विशिष्ट है जिसने स्वतंत्रता के पश्चात प्रत्येक व्यस्क नागरिक को मतदान का अधिकार प्रदान किया जिस कारण आज भारत को सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक देश रूप में जाना जाता है।
मतदान अहिंसा का समर्थन करती है, जो स्वतंत्रता के बाद से ही चला आ रही है। क्योंकि जब 560 देसी रियासतों ने भारतीय संघ में मिल जाने की अर्जी रखी तो उस समय विशाल विलय और अधिग्रहण चला था, जिसमें ना तो कोई हिंसा हुआ और ना ही खून खराबा।
अमेरिका जो कि आजाद हुए 150 वर्षों से अधिक समय पार कर चुका है वहां पर मतदान का अधिकार नागरिकों के निर्धारित मानदंडों के अनुसार दिया जाता है। साथ ही पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी मतदान का अधिकार प्रदान किया जा रहा है तथा राज्य सम्बंधी कार्यों में उनकी रुचि व हिस्सेदारी भी बढ़ाई जा रही है।
4. एकता का प्रतीक (Symbol of unity):-
स्वतंत्रता के पश्चात देश ने बहुत कुछ खोया तथा पाया ।लेकिन हमारा देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एकमात्र ऐसा देश है जो एकता का प्रतीक है तथा यहां विभिन्न संस्कृतियों होने के बावजूद भी उन्हें एकता के सूत्र में बांधे रखा है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है यहां पर विभिन्न धर्मो तथा संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते हैं, क्योंकि हमारा देश की एकता की भावना उनमें मजबूती का संचार करता है। आजादी मिलने के बाद यह सबसे बड़ी उपलब्धि रही कि हमारा देश विविधता में एकता का प्रतीक है। साथ ही यहां सभी लोग शांतिपूर्ण तरीके से एक दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं।
5. आजादी के पश्चात अर्थव्यवस्था में हुए सुधार (Improvements in the economy after independence) :-
आजादी के बाद देश में हर स्तर पर सुधार तथा बदलाव होने लगे, अर्थव्यवस्था जो आजादी के पहले छिन्न-भिन्न थी उनमें हुए बदलाव से स्थिरता आ गई। साथ ही हमारा देश आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक रूप से सशक्त बने, इस दिशा में कई बदलाव किए गए। आज हमारा देश एशिया का तीसरा सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है। जहां आज भारत की अर्थव्यवस्था पिछले वर्षों की तुलना में 2.7 लाख करोड़ रुपयों से बढ़कर 57 लाख करोड़ रुपये हो गई है जो कि अपने आप में विशिष्ट बात है।
भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है ताकि बाहरी आक्रमणों तथा विपरीत परिस्थितियां का सामना किया जा सके। आज भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार में 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर मौजूद है।हर क्षेत्र जैसे खाद्यान्न तथा निर्माण कार्यों में आत्मनिर्भर बनाने की प्रेरणा दी जा रही है। जिस कारण आज भारत सबसे बड़ा दालों का उत्पादनकर्ता तथा उपभोक्ता राष्ट्र एवं कपास का तीसरा तथा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य के रूप में जाना जाता है।अर्थव्यवस्था को विकास की दिशा में बढ़ाने के लिए आजादी के साथ ही बहुत से सुधार हुए और हो रहे हैं।
6. बैंकों का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation of Banks):-
राष्ट्रीयकरण राज्य या केंद्र सरकार द्वारा संचालित या स्वामित्व वाली सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति के हस्तांतरण को दर्शाता है। भारत में जो बैंक पहले निजी क्षेत्र के तहत काम कर रहे थे, उन्हें राष्ट्रीयकरण के अधिनियम द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया और इस प्रकार राष्ट्रीयकृत बैंक अस्तित्व में आए।
कृषि क्षेत्र, लघु उद्योगों, निर्यात क्षेत्र, के लिए ये एक बहुत महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम था। बैंको के राष्ट्रीयकरण के बाद आम लोगों को बैंकिंग सुविधाओं का लाभ मिलने लगा और निजी बैंको की मोनोपली भी कम हुई। यह वर्ष 1969, 19 जुलाई की बात है जब भारत में कार्यरत अधिकांश प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों में से 14 का राष्ट्रीयकरण हुआ। और फिर वर्ष 1980 में अन्य 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया जिसने कुल संख्या को बढ़ाकर 20 कर दिया। तीसरा चरण वर्ष 1991 से शुरू होकर अब तक का है। इस अवधि में उदारीकरण की नीति का विधिवत पालन किया गया और इसके परिणामस्वरूप इन बैंकों की एक छोटी संख्या को लाइसेंस मिल गया।
बता दें कि उन्हें नई पीढ़ी के तकनीक-प्रेमी बैंकों के रूप में जाना जाता था।, जो बाद में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, इंडसइंड बैंक, यूटीआई बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक में विलय हो गए। बैंकों के तीन क्षेत्रों यानी सरकारी, निजी, विदेशी ने अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया। बैंकिंग नीतियों के उदारीकरण के परिणामस्वरूप बहुत से निजी बैंक भी प्रभाव में आए।
7. आज़ादी के बाद भारत में वैश्वीकरण (Globalisation in India after independence):-
भारत के विकास में अगर किसी चीज़ ने सबसे ज्यादा तेज़ी लायी तो वह है भारत में वैश्वीकरण की नीति का आना। डॉ. मनमोहन सिंह को इस नीति का जनक माना जाता है। वैश्वीकरण शब्द का तात्पर्य विश्व अर्थव्यवस्था के साथ राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के एकीकरण से है या यूँ कहें कि इसके तहत विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार में काम करने की अनुमति दी गई। इसमें कई ऐसी रणनीतियाँ बनाई गई जिसकी वजह से भारत को भारत को वैश्विक पटल पर अपनी पहचान बनाने में सफलता मिली। 1991 में जब भारत भयानक आर्थिक मंदी से गुजर रहा था तब इसकी शुरुआत हुई और बाद में जाकर यह भारत के आर्थिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक माना जाता है।
कॉर्पोरेट, खुदरा और वैज्ञानिक क्षेत्र में विदेशी निवेश की वृद्धि देश में बहुत अधिक है। वैश्वीकरण का सामाजिक, मौद्रिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों पर भी जबरदस्त प्रभाव पड़ा। हाल के वर्षों में, परिवहन और सूचना प्रौद्योगिकी में सुधार के कारण वैश्वीकरण में वृद्धि हुई है। बेहतर वैश्विक तालमेल के साथ, वैश्विक व्यापार, सिद्धांतों और संस्कृति का विकास होता है। क्रॉस कंट्री कल्चर भारतीय समाज पर वैश्वीकरण के महत्वपूर्ण प्रभावों में से एक है। इसने सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सहित देश के कई पहलुओं को महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया है। इसके बाद देश में रोजगार की वृध्दि हुई और साथ ही लोगों का जीवन स्तर भी ऊंचा हुआ और भारत में भी आउटसोर्सिंग कल्चर का आगमन हुआ जिससे रोजगार में बढ़ोतरी हुई।
8. अंतरिक्ष संबंधी कार्यों में सफलता (Success in space) :-
स्वतंत्रता के पश्चात देश में नए-नए अंतरिक्ष संबंधी कार्य शुरू हुए, साथ ही भारत में 1975 में प्रथम अंतरिक्ष उपग्रह का डिजाइन तैयार किया था।भारतीय ज्योतिष आचार्य और गणितज्ञ विशेषज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर इसका नामकरण किया गया। अंतरिक्ष संबंधी कार्यों हेतु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) की स्थापना की गई। भारत जो कि आजादी के समय शून्य थी। आज आजादी के बाद उसकी बनावट ही बदल गई और वो आत्मनिर्भर बनी। जिससे न केवल अंतरिक्ष तकनीक तक ही बल्कि रक्षा तकनीक के क्षेत्र में भी एक विशिष्ट राष्ट्र के रूप में उभरी।
विश्व भर में भारत की एक ऐसा राष्ट्र है जिसने पहली बार में ही अपनी मंगल की अंतरिक्ष यात्रा में सफलता प्राप्त की। इसके अलावा भारत को दुनिया का चौथा मंगल में पहुंचने वाला देश माना जाता है। इसके साथ ही भारत ने ही सर्वप्रथम घरेलू संचार हेतु उपग्रह को विकसित किया। ISRO द्वारा भारत में अपना पहला चंद्रयान launch प्रयास सफल हुआ। चंद्रमा की मिट्टी में पानी की कणों की उपस्थिति हैं इसका भी खोज किया गया। इसी प्रकार देश अंतरिक्ष तथा प्रौद्योगिकी संबंधी क्षेत्र में भी सफलता हासिल करता हुआ आगे बढ़ रहा है।
9. भारत की सैन्य शक्ति (India’s military power) :-
स्वतंत्रता के समय भारत के पास ना ही आधुनिक हथियार था और ना ही कोई विशेष सेना थी। लेकिन आज हमारे देश के पास आधुनिक से आधुनिक हजारों मिसाइलें मौजूद है, जिस कारण भारत को चौथा शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखा जाता है। भारत के पास आज सभी अत्याधुनिक नए- नए हथियार हैं जो कि दुश्मनों का सामना करने के लिए मौजूद हैं। भारत के पास ऐसे ऐसे-ऐसे लड़ाकू विमान हैं जिसे दुश्मन देख कर ही दंग रह जाते हैं। वर्तमान में भारत के पास तीन अलग-अलग सैन्य बल जल सेना, वायु सेना तथा नौसेना है, जो देश की रक्षा में तत्पर हैं।
10. रेल नेटवर्क में सुधार (Rail network improvement) :-
भारत का रेल नेटवर्क जो कि स्वतंत्रता के समय विरासत में मिला था। आज भारत को विश्व का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क कहा जाता है। पहले भारत में 42 तरह के रेलवे प्रणालियां थी, जिसका सारा उत्तरदायित्व भारतीय रियासतों के प्रधान के पास होते थे। लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात 1951 ई. में रेलवे का राष्ट्रीयकरण किया गया। खास बात तो यह है कि हर रोज भारतीय रेल लगभग 23मिलियन लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करती है।
रेलवे का राष्ट्रीयकरण करने से रेलवे लाइन की दूरी बढ़ाई गई तथा स्टेशनों पर भी विशेष ध्यान दिया गया। आज देश में कुल 7112 बड़े व छोटे स्टेशन है। रेल लाइन जहां उस समय 33,000 किलोमीटर तक जाती थी। वही राष्ट्रीयकरण के पश्चात 68,312 किलोमीटर कर दी गई। UNESCO जो कि एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है उसने मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और भारत के पहाड़ी रेल को विश्व धरोहर का दर्जा दिया।
11. उत्पादन के क्षेत्र में देश हुआ उन्नत (The country has advanced in the field of production) :-
आजादी के साथ देश में नए-नए सोच का विकास हुआ, आत्मनिर्भरता आयी, स्थिरता आयी, जिससे भारत ने हर क्षेत्र में विकास करना प्रारंभ किया। इसके साथ ही वह उत्पादन के क्षेत्र में भी आगे बढ़ा। यहां धीरे धीरे तकनीकी का विस्तार हो रहा है । साथ ही भारत अपने दम पर उत्पादन भी कर रहा है। आज भारत सबसे सस्ते और निम्न दर पर वायरलेस टेलीफ़ोनी तथा सबसे बड़ा दुपहिया वाहनों का उत्पादन करने वाला देश है। इसके अलावा भारत में ना केवल कम लागत वाला सुपरकंप्यूटर तैयार किया गया। बल्कि कम लागत वाली नैनों जैसी कारों का भी निर्माण हुआ। भारत में आज दूरसंचार बहुत ही तीव्र गति से बढ़ रहा है।
सबसे बड़ा दूध और मक्खन उत्पादन करने में हमारा देश सबसे बड़ा माना जाता है। अगर बात करें हम धातुओं की तो आज भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता तथा आयातक राष्ट्र के रूप में निखर रहा है। सोने के साथ-साथ हिरें जैसे अनमोल धातु भी ज्यादातर हमारे देश में ही प्रसंस्कृत तथा पॉलिश किए जा रहे हैं। इन सभी आंकड़ों को देखकर पता चलता है कि दुनिया भर में भारत एक ऐसा राष्ट्र बन चुका है जो विकास के मार्ग में बढ़ता ही जा रहा है।
12. भारत में स्टार्टअप कल्चर का उदय (The rise of startup culture in India):-
स्टार्टअप, एक कंपनी को संचालन के पहले चरण को दर्शाता है। स्टार्टअप एक या एक से अधिक उद्यमियों द्वारा स्थापित किए जाते हैं जो एक उत्पाद या सेवा विकसित करना चाहते हैं। जिसके लिए उनका मानना है कि अभी इसका डिमांड है। इसे या तो कार्य में लाया जाता है क्योंकि संस्थापक एक अद्वितीय समाधान के साथ आए हैं या उन्होंने पहले से मौजूद किसी चीज़ को फिर से बनाने और वितरित करने का एक अधिक कुशल तरीका ढूंढ लिया है।
हाल के वर्षों में भारत में इस संस्कृति का काफी उदय हुआ है।विश्व के जितने भी बड़े उद्यमियों को हम देखते हैं वे अपने करियर की शुरुआत में इसी तरह के किसी न किसी स्टार्टअप का हिस्सा हुआ करते थे। इस कल्चर के उदय होने से भारतीय लोगों में सरकारी नौकरी की निर्भरता कम हुई है । और लोग लोग नए- नए आईडिया लेकर सामने आते हैं और भारत में लोगों के बीच स्वरोजगार की मानसिकता का विकास हुआ है।
सरकार की तरफ से भी कई ऐसी योजनायें चलाई जा रही है जो इस स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देती है जैसे कि Startup india initiative, ASPIRE, MUDRA Bank, SIP-EIT, Atal innovation mission, SAMRIDH scheme, eBiz portal इत्यादि। स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए एक अलग हीं मंत्रालय का निर्माण किया गया है जिसका नाम है कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय। ध्यान रहे कि बिज़नेस और स्टार्टअप दोनों अलग-अलग चीज़े हैं।
स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर प्रोडक्ट या सर्विस इन्नोवेशन है। लघु व्यवसाय अपना यूनिक होने का कोई दावा नहीं करता है। स्टार्टअप कुछ नया बनाने और जो पहले से मौजूद है उसे सुधारने के लिए हैं। संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के अनुसार, सरकार ने 23 दिसंबर, 2020 तक 41,061 स्टार्टअप्स को मान्यता दी थी। इसमें से 39,000 से अधिक स्टार्टअप ने 4,70,000 नौकरियों की सूचना दी है। वर्तमान में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम रखता है, जिनमें से 38 फर्मों की वैल्यू एक बिलियन डॉलर से भी अधिक है।
13. संघवाद का और मजबूत होना(Evolving federalism):-
संघवाद सरकार की एक ऐसी प्रणाली है जिसमें एक ही क्षेत्र को सरकार के दो अलग-अलग स्तरों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, और इसमें में दोनों स्तरों को कानून बनाने की शक्ति होती है, और दोनों को एक दूसरे से स्वायत्तता प्राप्त होती है। स्वतंत्रता के बाद इस प्रणाली के तहत भारत में लोकतंत्र और अधिक मजबूती के साथ व्याप्त हुआ। भारत संघवाद के क्षेत्र में विश्व भर में एक उदाहरण स्थापित करता है।
संघवाद का लक्ष्य सरकार की शक्तियों को अलग-अलग करके व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संरक्षित करना होता है। क्योंकि भारत एक बहुत बड़ी जनसंख्या वाला देश है ऐसे में अगर यहां पर संघवाद ना हो तो एक सरकारी समूह सभी शक्तियों पर हावी हो सकती है। और आजादी के बाद तेजी से बढ़ते जनसंख्या के दौरान भी भारत ने यह करके दिखाया है कि इतने बड़े देश मैं लोकतांत्रिक व्यवस्था को कैसे बनाए रखा जाए।
14. मिड – डे मील योजना (Mid day meal scheme) :-
भारत में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम चलाया गया। जिसके तहत गांव में रहने वाले बेरोजगार निवासियों को रोजगार दिया जाता है। इसके अलावा कोई बच्चा भूखा ना रहें, इसके लिए कई योजनाएं तथा अभियान चालू किए गए। प्रत्येक बच्चे को भरपेट भोजन प्राप्त हो इसी उद्देश्य पूर्ति हेतु मिड – डे मील की व्यवस्था की गई।
इसके तहत रोजाना बच्चों को सभी स्कूलों में भोजन कार्यक्रम चलाकर खाना उपलब्ध कराया जाता है। जिससे बच्चों को पोषण मिले। एक आंकड़े के अनुसार पता चला है कि हर रोज लगभग 120 मिलियन बच्चों को खाना उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा स्कूलों में बच्चों के लिए आवश्यक वस्तुएं सरकार द्वारा प्रदान की जाती हैं जिससे कि देश के हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचे और कोई भी बच्चा अशिक्षित ना रहे।
15. स्वच्छ भारत अभियान (Clean India Mission) –
आजादी के स्वर्णिम 75 सालों के इतिहास में स्वच्छ भारत अभियान भी बहुत बड़ी उपलब्धि रही है। स्वच्छता अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। शायद आपको जानकारी ना हो, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में शुरू की गई स्वच्छ भारत अभियान असल में 2009 में यूपीए यानी कांग्रेस सरकार द्वारा चलाए गए Nirmal Bharat Abhiyan का ही अपडेटेड वर्जन था। 2009 में यूपीए सरकार ने निर्मल भारत अभियान शुरू किया था। इसका भी उद्देश्य साफ सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देना था। मगर ये अभियान सफल नहीं हो पाया।
2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी के 150वीं जयंती के अवसर पर राजघाट पर इस अभियान की शुरुआत हुई थी। इस अभियान के तहत सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि सुदूर ग्रामीण इलाकों तक भी साफ-सफाई को बढ़ावा देना था।
भारत में खुले में शौच करना शुरू से बहुत बड़ी समस्या रही है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूरे देश भर में बड़े स्तर पर शौचालय का निर्माण किया गया ताकि खुले में शौच की समस्या को सुलझाया जा सके। आंकड़ों में बात करें तो 2011 की जनगणना के हिसाब से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 2011 तक 69.3% परिवार के पास शौचालय तक नहीं था। मगर 2019 में सरकार ने बताया कि भारत के लगभग 30 राज्य और केंद्र शासित राज्यों में लगभग परिवार के पास शौचालय उपलब्ध हो चुके हैं। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान पूरे देश भर में लगभग 10 करोड़ शौचालय का निर्माण किया गया।
आपको बता दें कि स्वच्छ भारत अभियान कई चरणों में बांटा गया है। जब स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को ही थी, तो यह स्वच्छ भारत अभियान का पहला चरण था। जो 2 अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2019 तक चला है। अब फिलहाल 2020-21 से स्वच्छ भारत अभियान का दूसरा चरण शुरू हो चुका है जो आगामी 2024-25 तक चलेगा।
जहां पहले चलन का लक्ष्य पूरे देश में हर परिवार को शौचालय उपलब्ध कराना था, वही दूसरे चरण का लक्ष्य पूरे देश को 2024-25 तक 100% खुले में शौच मुक्त करना है। इसके अलावा देश में solid और liquid waste के उचित निपटारे का भी हल निकालाना इस मिशन के दूसरे लक्ष्य में शामिल है। इस मिशन के दूसरे चरण के मुख्य उद्देश्यों में sanitation workers यानी सफाई कर्मचारियों की स्थिति को बेहतर करना भी शामिल है।
16. प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana) –
एक समय भारत में बैंक में खाता खुलवाना सिर्फ अमीरों की जागीर समझी जाती थी। मगर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक क्रांतिकारी फैसला लेते हुए प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान की घोषणा 15 अगस्त 2014 को पहली बार लाल किले से की थी। और उसके बाद दो 28 अगस्त 2014 को इस अभियान की शुरुआत हुई।
इस अभियान के तहत पूरे देश में गरीब से गरीब लोगों के बैंक अकाउंट खोलने का लक्ष्य रखा गया। यहां तक कि अगर किसी की उम्र 10 साल से अधिक थी, तो वह भी एक गारंटर के सहारे अपना अकाउंट बड़ी आसानी से खुलवा सकता था।
इस योजना के तहत सिर्फ 28 अगस्त 2014 को ही यानी इस योजना के लागू होने के दिन ही पूरे देश में डेढ़ करोड़ अकाउंट खोले गए। इसके अलावा इस योजना के लागू होने के पहले हफ्ते में ही पूरे देश में 18,096,130 खोले गए। इतने कम समय में इतने बैंक अकाउंट खोलने की वजह से एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना और इसे The most bank accounts opened in one week की कैटगरी में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया।
आंकड़ों में बात करें तो प्रधानमंत्री जनधन योजना के लॉन्च होने के बाद पहले 1 साल में पूरे देश में 17 करोड़ 90 लाख बैंक अकाउंट खोले गए। वहीं इस योजना के तहत 19 अगस्त 2020 तक पूरे देश में 40 करोड़ 35 लाख नए अकाउंट खोले गए। इस तरह इस योजना के तहत उन सभी का अकाउंट खुलवाया गया जिनके लिए कभी बैंक में अकाउंट खुलवाना एक सपना हुआ करता था। आज लगभग भारत के हर परिवार के पास अपना बैंक अकाउंट है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू किए गए प्रधानमंत्री जनधन योजना के कारण ही संभव हो पाया।
चूंकि प्रधानमंत्री जनधन योजना का व्यापक प्रभाव पूरे देश में देखने को मिला और यह योजना काफी सफल भी हुई। इस कारण इस योजना को आजादी के स्वर्णिम 75 सालों की उपलब्धियों में से एक उपलब्धि मानी जाती है।
निष्कर्ष:-
भारतीय स्वतंत्रता के इन 75 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में सभी दृष्टिकोण से कई ऐसे परिवर्तन हुए, जिसने देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया है। आजादी से पहले की तुलना में आज का भारत काफी आगे निकल चुका है। इस प्रकार अगर देखा जाए तो आजादी के पश्चात भारत में कई सुधार किए गए जो कि हमारे देश के लिए आवश्यक थे। इससे देश में विकास की गति बढ़ी है और विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।
इन सभी बदलावों ने देश को उन्नत बनाया, जिस कारण आज भारत को दुनिया भर में एक विशिष्ट और सम्मानित राष्ट्र के रूप में देखा जाता है। स्वतंत्रता के बाद आज भी हमारे देश में बदलाव हो ही रहे हैं। आगे भी देश की प्रगति एवं अन्य गतिविधियों का दौर इसी प्रकार चलता रहा तो भारत को आने वाले समय में काफी उन्नति और सफलता मिलेगी और निश्चित ही भारत सफलता के शिखर पर पहुंचेगा।
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