स्त्री शिक्षा व सोच / महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi)

Loading

👀 “महिला शिक्षा पर निबंध / स्त्री शिक्षा व सोच” पर लिखा हुआ यह निबंध (Women Education Essay in Hindi) आप को अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए निबंध लिखने में सहायता कर सकता है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयों पर हिंदी में निबंध मिलेंगे (👉 निबंध सूचकांक), जिन्हे आप पढ़ सकते है, तथा आप उन सब विषयों पर अपना निबंध लिख कर साझा कर सकते हैं

स्त्री शिक्षा व सोच
महिला शिक्षा पर निबंध
Women Education Essay in Hindi


🌈 स्त्री शिक्षा व सोच / महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi)  पर यह निबंध class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए और अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लिखा गया है।

सांध्यकालीन गोष्ठी का विषय स्त्री शिक्षा व सोच अत्यन्त ही हर्षवर्धक एवं आकर्षक है। स्त्री शिक्षा व सोच का क्षेत्र जितना ही व्यापक है उतना ही विस्तृत भी। पुरातन या नवीन युग प्राच्यविद हों या पाश्चात्य मनीषीगण लगभग सभी का दृष्टिकोण नारी के प्रति एक सा है। सभी ने नारी को सुन्दर सुन्दर मनमोहक उपमाओं से अलंकृत करने की कोशिश की हैं। नारी तुम केवल श्रद्धा हो, अबला हो, सृष्टिका हो, वृष्टिका हो, चण्डिका हो, हम आपसे पूछना चाहते हैं- क्या जरूरत है विभूषित करने की। नारी शब्द क्या अपने आप में पूर्ण नहीं है। हम क्यों भूल जाते हैं कि नव सृजन प्रणेता नारी, नव प्राण संचार करने वाली नारी सुसंस्कारों की भी जननी है। 

नारी को नारी ही रहने दें और कोई नाम न दें। हम अपनी शिक्षा में बहुआयामीय घटक, आधुनिक स्त्री शिक्षा की बात करते हैं परन्तु परम्पराओं की पुरातन कलेवर के दायरे में किस प्रकार की शिक्षा? बेटी की रुखसत पर बाप की ये शिक्षा “बेटी मेरी लाज रखना, बाप के घर से बेटी की डोली निकलती है और अर्थी ससुराल से”। कितनी लोमहर्षक शिक्षा है ये, नारी के सामने जब विपत्तियों के बादल फटते हैं, निराशाओं के लहर का तूफान उठता है, अन्तरात्मा की धरती कांप उठती है तो खुद के दरवाजे बन्द हो जाते हैं। धरनी कहलाती है घर की नहीं। दस्तक देने के लिये विवश। कदापि नहीं- अरे, बेटियाँ तो पिता के आँगन की वो ठंडी हवाएं होते हैं जो सर्वदा ही मनभावन और सुहावन होती हैं।

कवि ऋतुराज की कविता ‘कन्यादान’ अत्याधिक समाचीन और प्रासंगिक भी है जो मुझे भी बेहद पसंद है। माँ अपनी बेटी को सीख देती है-

पानी है प्यास बुझाने के लिये
डूबन के लिये नहीं
आग है रोटियाँ सेंकने के लिये
जलने के लिये नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों
की तरह बंधन है
लड़की होना पर लड़की जैसी
दिखाई मत देना।

“ठीक ही तो है माँ की सोच। कमजोर सीधे-साधे लोगों को कौन पूछता है? और तो और माँ जगदम्बा भी निरीह बेचारे बकरे को चट कर जाती हैं परन्तु सिंह की सवारी करती है। कोई कितना भी बड़ी ताकत क्यों न हो, सिंह की निनाद के समक्ष भर्रा जाता है”।

“इरादे हो बुलंद यदि, झुकता है मजबूर आसमां भी”।

आज वैज्ञानिक युग में बुद्धवादी जन सभ्यता व विकास के सोपान पर निरन्तर आरूढ़ हो रहे हैं। होड़ में इतने मस्त कि पीछे क्रन्दर करती मानवता को पकड़कर उठाने की फुर्सत नहीं है। कुसंस्कृति आधुनिक शिक्षा संवेदना की जड़ को उखाड़ने पर तुली हुई है। युगों-युगों तक मानवता पल्लवित व पुष्पित हो इसके लिये समाज को आवश्यक है एक सुसंस्कृत शिक्षा की। सुसंस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है। यह ध्रूब सत्य है कि संस्कारी की जननी व शिक्षिक स्त्री है। इतिहास साक्षी है कि गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त संस्कार धातृ ही शिक्षा देती आई है। मात्र एक सुनिश्चित नहीं वट बीज की तरह अनेकों संस्कारवानों का प्रसवन कर सकती है। एक नन्हा सा दीपर घना व विस्तृत तिमिर साम्राज्य को निमिष मात्र में समाप्त कर देता है। तो भला एक संस्कृत नारी कुरीतियों, कुसंस्कारों के जड़ को समूल नष्ट नहीं कर सकती। कर सकती है। मैंने अपनी कविता ‘दीया’ में इसी का उल्लेख किया है।

मैं हूँ माटी का दीया
सारी रात को  दीया उजियारा हूँ
चाहे मंदिर में जलाओ
चाहे कब्र पर जलाओ उजियारा हूँ।

आधुनिक संचार माध्यमों के युग में बहुआय़ामी शिक्षा व कानूनों का प्रावधान है। इसके बावजूद भी नारी माँ के गर्भ से ही स्त्री होने का दंड भुगत रही है। दहेज की बलिदेवी पर आहूति दी जाती रही है। इस विशाल जनसंख्या वाले हमारे देश में करियर वूमैन तो कुछ बूँद के समान हैं। हमारा असली भारत तो गाँव में बसता है। गाँव के मानिन्द संभ्रान्त परिवार की आज भी यही सोच है कि हमारी बहू की घूँघट न सरके। चूड़ियों की सुन्दर खनखनाहट चौके तक सीमित रहे। पायलों की झंकार आँगन को पार करता है तो भूचाल आ जाता है। इसका कारण क्या है- एक निकृष्ट सोच। मेरी एक स्टूडेन्ट ने मुझसे पूछा- मैम कम्पनी में काम करने वाला लड़ता दस हजार पाता है। उसे दहेज में दस हजार रूपया मिल रहा है। मैं बीस हजार रूपये पाती हूँ पर मुझे तो बीस रूपया बी कोई नहीं देता हैं। क्यों? मैंने कहा- एक निकृष्ट सामाजिक सोच। इस सोच को सिर्फ तुम लड़कियाँ ही बदल सकती हो। जिस दिन निकृष्ट सोच, उत्कृष्ट सोच में बदलेगी, उस दिन ऋषियों की तप स्थली पतित पावन गंगा के लहरों पर शिव तांडव नहीं होगा बल्कि हमारी भारत माता नृत्य करेंगी और एक नया इतिहास रचेंगी।

नारी तो स्वभावत: सुसंस्कृत है। प्रकृति ने उसे संवेदनाओं का अद्भुत भंडार दिया है आश्यकता है तो सामाजिक समदर्शन की।

👉 यदि आपको यह लिखा हुआ स्त्री शिक्षा व सोच / महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi) पसंद आया हो, तो इस निबंध को आप अपने दोस्तों के साथ साझा करके उनकी मदद कर सकते हैं |


👉 आप नीचे दिये गए छुट्टी पर निबंध पढ़ सकते है और आप अपना निबंध साझा कर सकते हैं |

छुट्टी पर निबंध
लॉकडाउन में मैंने क्या किया पर निबंधछुट्टी का दिन पर निबंध
गर्मी की छुट्टी पर निबंधछुट्टी पर निबंध
ग्रीष्म शिविर पर निबंधगर्मी की छुट्टी के लिए मेरी योजनाएँ पर निबंध
@ स्त्री शिक्षा व सोच / महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi) पृष्ठ


विनम्र अनुरोध: 

आशा है आप इसे पढ़कर लाभान्वित हुए होंगे। आप से निवेदन है कि इस निबंध “स्त्री शिक्षा व सोच / महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi)” में आपको कोई भी त्रुटि दिखाई दे तो हमें ईमेल जरूर करे। हमें बेहद प्रसन्नता होगी तथा हम आपके सकारात्मक कदम की सराहना करेंगे। हम आपके लिये भविष्य में इसी प्रकार स्त्री शिक्षा व सोच / महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi) की भाँति अन्य विषयों पर भी उच्च गुणवत्ता के सरल और सुपाठ्य निबंध प्रस्तुत करते रहेंगे।

यदि आपके मन में इस निबंध स्त्री शिक्षा व सोच / महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi) को लेकर कोई सुझाव है या आप चाहते हैं कि इसमें कुछ और जोड़ा जाना चाहिए, तो इसके लिए आप नीचे Comment सेक्शन में आप अपने सुझाव लिख सकते हैं आपकी इन्हीं सुझाव / विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मौका मिलेगा |


🔗 यदि आपको यह लेख स्त्री शिक्षा व सोच / महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi) अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को निचे दिए गए Social Networks लिंक का उपयोग करते हुए शेयर (Facebook, Twitter, Instagram, LinkedIn, Whatsapp, Telegram इत्यादि) कर सकते है | भविष्य में इसी प्रकार आपको अच्छी गुणवत्ता के, सरल और सुपाठ्य हिंदी निबंध प्रदान करते रहेंगे।

Leave a Comment