हिंदी में रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi)

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हिंदी में रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi)
हिंदी में रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi)

हिंदी में रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्तियाँ
10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi

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भारत की धरती पर असंख्य वीरों ने जन्म लिया है और मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान दिया है। इस वीरों में नारियों की संख्या भी कम नहीं है। अनगिनत नारियों ने भी अपने शौर्य और पराक्रम से दुश्मनों को धूल चटाई है। ऐसी ही एक वीरांगना थीं- रानी लक्ष्मीबाई। रानी लक्ष्मी बाई ने अपने जीवन में काफी कष्ट सहे परंतु उन्होंने उन कष्टों के सामने कभी समर्पण नहीं किया। बल्कि उनका सामना करके उन्हें धूमिल कर दिया। आइये रानी लक्ष्मीबाई के जीवन के बारे में इन दस पंक्तियों (10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi) में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।


हिंदी में रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi) प्रारूप १

  1. रानी लक्ष्मीबाई का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में सन् 1828 ई0 में हुआ था।
  2. इनके पिता मोरोपंत तांबे तथा माता भागीरथी बाई थीं। इनके बाल्यकाल में ही इनकी माता का निधन हो गया था।
  3. इसके बाद पिता इन्हें बिठूर ले आए और वहीं पेशवा बाजीराव के साथ रहने लगे।
  4. इनका बचपन का नाम मनु था। पेशवा बाजीराव इन्हें छबीली के नाम से भी पुकारते थे।
  5. पेशवा के कुशल संरक्षण में मनु को तीरंदाजी, घुड़सवारी और अन्य युद्ध कलाओं का बहुत अच्छा अभ्यास हो गया था।
  6. रानी का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव से हुआ। उन्हें एक पुत्र भी हुआ जिसकी मृत्यु जन्म के चार महीने पश्चात ही हो गई।
  7. अपने पुत्र की स्मृति में उन्होंने एक पुत्र को गोद लिया और उसका नाम दामोदर राव रखा।
  8. महाराज गंगाधर का भी असाध्य रोग के कारण स्वर्गवास हो गया। इस घटना रानी को अत्यंत दुख पहुँचा किन्तु उन्होंने स्वयं को जुटाया और राजकाज स्वयं संभालने लगी।
  9. महाराज की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने झाँसी पर अपना कब्जा जमाने की कोशिशें कीं परंतु रानी और उनके सहयोगियों के विरोध के आगे वे सफल न हो सके।
  10. अंग्रजों के खिलाफ निरंतर संघर्ष करते हुए रानी ने अपना जीवन त्याग दिया। अंग्रेज रानी की प्रतिज्ञानुसार उनके शरीर को स्पर्श तक न कर सके।

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हिंदी में रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi) प्रारूप २

दिसम्बर 27, 2021 by Dharmendra Verma

  1. रानी लक्ष्मी बाई स्वतंत्रता संग्राम की महान और वीर योद्धा थी ।
  2. रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवम्बर 1828 में बनारस के अस्सी घाट मे हुआ था ।
  3. रानी लक्ष्मी बाई के पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माँ का नाम भागीरथी था ।
  4. रानी लक्ष्मी बाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका रखा गया था, और इन्हें प्यार से मनु कहकर पुकारा जाता था ।
  5. रानी लक्ष्मी बाई की शादी मात्र 12 वर्ष की उम्र में झाँसी के राजा गंगाधर से हुई थी ।
  6. जब रानी लक्ष्मी बाई की उम्र मात्र 4 साल थी तब उनकी माँ का देहांत हो गया था, जिसके बाद वे अपने नाना के यहाँ आ गई थी ।
  7. रानी लक्ष्मी बाई ने झाँसी को बचने के लिया अपार पराक्रम दिखाते हुए अंग्रेजो को कई बार धुल चटाई, जिसके बाद से उन्हें झाँसी की रानी कहा जाने लगा । 
  8. अंग्रेज रानी लक्ष्मी बाई के पराक्रम को देखकर हैरान थे और कई बार झाँसी से भागने पर मजबूर हुए थे ।
  9. रानी लक्ष्मी बाई का युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्ति हुई थी ।
  10. रानी लक्ष्मी बाई महिलाओं के लिए आदर्श हैं ।

👉 हम आशा करते है की आप सभी को रानी लक्ष्मी बाई पर छोटा सा लेख / निबंध हिंदी में रानी लक्ष्मी बाई पर 10 पंक्तियाँ पसंद आया होगा। आप इस लेख को अपने स्कूल में (10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi) के रूप में भी प्रयोग कर सकते है।

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  1. रानी लक्ष्मी बाई ने ब्रिटिश राज के खिलाफ एक लोकप्रिय संघर्ष का नेतृत्व किया और स्वतंत्रता की लड़ाई में हजारों लोगों को अपनी सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इस समय के दौरान उन्होंने अपनी सेना को संगठित किया और झांसी के किले का नेतृत्व ग्रहण किया, झांसी की संप्रभुता को औपनिवेशिक शासन से बचाने की कसम खाई। उनके शासन के तहत, झांसी स्वतंत्रता आंदोलन में बहादुरी और बलिदान का एक प्रतिष्ठित प्रतीक बन गया, अंततः ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक भयंकर संघर्ष में परिणत हुआ।

    उनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था और उन्होंने संस्कृत के विद्वान अप्पा कवि के अधीन अध्ययन किया था। उन्होंने 1842 में 14 साल की उम्र में झांसी के राजा गंगाधर राव नयालकर से शादी की, जिन्होंने बाद में उनके बेटे दामोदर राव को सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में अपनाया। अपने पति की मृत्यु के बाद, रानी लक्ष्मी बाई ने झाँसी पर अधिकार कर लिया, जिससे यह भारतीय स्वतंत्रता का गढ़ बन गया। उनके साहस और बहादुरी के कारण उन्हें “झांसी की नायिका” के रूप में जाना जाने लगा।

    रानी लक्ष्मी बाई ने 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व किया और उपनिवेशवादी ताकतों को वीरतापूर्ण लड़ाइयों में चुनौती दी। वह युद्ध में हाथियों पर सवार होकर, तलवार लहराते हुए अपने सैनिकों का नेतृत्व करती थी और अक्सर पुरुषों के कपड़े पहनती थी; अपने आसपास के लोगों से “द वारियर क्वीन” की उपाधि अर्जित की। चुनौतीपूर्ण उत्पीड़न में उल्लेखनीय साहस और बहादुरी के प्रतीक के लिए अक्सर उसकी तुलना जोन ऑफ आर्क से की जाती थी।

    रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों द्वारा थोपे गए हड़पने के सिद्धांत का खुले तौर पर विरोध किया, जिसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शक्ति को और बढ़ाने के लिए महिला शासकों को विरासत के अधिकार से वंचित कर दिया। 1853 में अपने पति की मृत्यु के बाद, उन्होंने झाँसी पर अधिकार करने और कंपनी द्वारा निर्धारित कानूनों की अवहेलना करने का प्रयास किया।

    उन्होंने 17 जून, 1858 को ग्वालियर में ब्रिटिश नेतृत्व वाले सेना के जनरल सर ह्यूग रोज़ का सामना किया और उसी समय उन्हें प्रेरित करते हुए अपनी सेना के साथ बहादुरी से लड़ीं। इस साहसी कार्रवाई के परिणामस्वरूप, वह अपने जीवनकाल के दौरान और बाद में भारत में भारतीय राष्ट्रवादियों की पीढ़ियों के लिए एक प्रतीक बन गईं। हफ़्तों तक वीरतापूर्ण अंतिम लड़ाई लड़ने के बाद, 18 जून, 1858 को ग्वालियर की घेराबंदी के दौरान लड़ाई में रानी लक्ष्मी बाई की मौत हो गई थी।

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