प्रेम की भाषा
प्रेम की भाषा ये शब्द ज़ुबाँ हैं ये शब्द ज़ुबाँ हैं आँखें लिबास हैं, बशर तन्हा हर रूह को इसी की तलाश है। दर्द के झंझावातों से हृदय हीन ना बच पाए, तपन देव सूरज भी नहीं घंघोर घटा बिन सज पाए। जो हर शास्त्र के ज्ञानी हैं वो अब तक ये ना सिख पाए, … Read more