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भारत के स्वतंत्रता दिवस 2022 पर भाषण
Speech on 15 August in Hindi for Students
Speech on Independence Day of India in Hindi
भारत के स्वतंत्रता दिवस 2022 पर भाषण (Speech on 15 August in Hindi for Students ) प्रारूप १
हमारे भारत देश को अंग्रेज़ों से आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी, जिसके बाद हमारे देश के सभी नागरिक अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होकर स्वतंत्र जीवन जीने लगे। लेकिन इस आजादी को पाने के लिए भारत के बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दे दिया। इसलिए हर साल उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने, उनके बलिदान को सम्मान देने और स्वतंत्रता की खुशी मनाने के लिए पूरे देश में 15 अगस्त मनाया जाता है।
स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, कंपनी, सरकारी कार्यालयों हर जगह लोग स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाते हैं। सभी जगह झंडे फहराए जाते हैं, मिठाइयां बांटी जाती है। साथ ही कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है। उन कार्यक्रमों में लोग आजादी के गीत, कविताएँ, भाषण आदि देते हैं, जिसमें उन लोगों के कार्यों का उल्लेख किया जाता है, जिन्होंने भारत को अंग्रेज़ों से आज़ादी दिलाने के लिए कितना संघर्ष किया। यहां तक कि राष्ट्र की आज़ादी के लिए खुशी खुशी अपनी जान तक गंवा दी।
इसलिए आज इस पोस्ट में हम आपके लिए भारत के स्वतंत्रता दिवस 2022 पर भाषण लेकर आए हैं, जिससे कि आप इसे स्कूल, कॉलेज, कार्यालयों, संस्थाओं आदि किसी भी जगह पर प्रस्तुत कर सकते हैं।
भारत के स्वतंत्रता दिवस 2022 पर भाषण (Speech on 15 August in Hindi for Students) –
आज 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस समारोह में आप सबका स्वागत है। स्वतंत्रता दिवस हर साल हम सभी 15 अगस्त को एक साथ मिलकर मनाते हैं।
इसी दिन यानी दिन 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेज़ों की गुलामी से आजाद हुआ था। हमारे देश को आज़ादी दिलाने में गांधी जी के साथ ही अन्य लोगों ने भी अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है।
साथियों, ये आज़ादी हमें एक दिन में नहीं मिली थी। बल्कि आज़ादी के मतवालों ने इसे प्राप्त करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। ये आज़ादी असंख्य क्रांतिकारियों के बलिदान का फल हैं। ये आज़ादी उन माँओं के त्याग का फल है जिसने मां भारती की स्वतंत्रता और सम्प्रभुता की खातिर अपने कलेजे के टुकड़ों को आज़ादी कि लड़ाई में भेजा।
अंग्रेजों से आज़ादी मिलने के बाद देश में सबसे पहला झंडा देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किला पर फहराया था। इसलिए हर साल अब भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लाल किला पर भारत का तिरंगा फहराया जाता है। साथ ही राष्ट्रगीत भी गाया जाता है। इसके अलावा लोग स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, कार्यालयों आदि जगहों पर भी देश का झंडा फहराकर आजादी का उत्सव मनाते हैं।
आज़ादी से पहले देश के लोगों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। भारत के सभी नागरिक अंग्रेजों की गुलामी करते थे। उन्हें अपना कोई अधिकार प्राप्त नहीं था। गांधी जी से भारतवासियों की यह स्थिति देखी नहीं गई। और उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन शुरु किया और भारत की आज़ादी के लिए आवाज़ उठाई।
भारत को आज़ादी दिलाने का सिलसिला सबसे पहले भारत के स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे से शुरू हुआ, जिन्हें अंग्रेज़ों ने गोली मारी थी। उसके बाद महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, मंगल पांडे, लाला लाजपतराय, सुखदेव, बाल गंगाधर तिलक, लोक मान्य तिलक, राजगुरु, खुदीराम बोस जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आज़ादी दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया। यहां तक कि उन्होंने अपनी जान तक की परवाह नहीं की।
वैसे तो भारत देश को आज़ादी दिलाने में बहुत सारे सेनानियों ने अपना योगदान दिया, लेकिन इस आज़ादी को दिलाने में जो सबसे अहम नाम है, वह हमारे बापू गांधी जी का है। उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन चलाकर अंग्रेज़ों के घुटने तक टेकवा दिए थे। गांधी जी सत्य का साथ देने वाले एक सादगी भरा जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। यह बहुत ही सत्यवादी और अहिंसावादी व्यक्ति थे, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के साथ भारत को आज़ादी दिलाने का निर्णय लिया और उसमें सफल भी हुए। इस संघर्ष में कई बार गांधी जी को जेल भी जाना पड़ा, अंग्रेज़ों के अत्याचार सहने पड़ें, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका कहना था कि जिसके पास उम्मीद है वह कभी हार नहीं मानता।
भारत को आज़ादी दिलाने के लिए उन स्वतंत्रता सेनानियों में इतना जोश था कि उनको अपनी जान तक की कोई परवाह नहीं थी। वो अपने भाषण के द्वारा देश के लोगों में देशभक्ति का जज़्बा पैदा करते थे। जैसे नेता जी सुभाष चंद्र बोस का एक कथन आज तक बहुत प्रसिद्ध है – तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
आज हमारे देश को अंग्रेज़ों से आज़ादी मिले 76 वर्ष हो चुके हैं। आज़ादी के बाद भारत ने बहुत ही बड़ी बड़ी उन्नति की। हमारे देश ने अन्य देशों से कदम से कदम मिलाकर खुद को सर्वश्रेष्ठ की लिस्ट में खड़ा किया। विज्ञान हो या तकनीक हर क्षेत्र में भारत के लोगों ने उन्नति की है। बात यहीं खत्म नहीं होती। आज़ादी के बाद आज यह स्थिति है कि भारतीय नागरिक ओलंपिक, मिस यूनिवर्स जैसी उपाधि जीतकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
जहां कई क्षेत्रों में भारत अन्य देशों से कदम से कदम मिलाकर चल रहा है, वहीं कुछ चीज़ों में यह आज भी दिन प्रतिदिन पिछड़ता ही जा रहा है। जैसे – शिक्षा में कमी, बेरोज़गारी में वृद्धि, जनसंख्या में वृद्धि, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, अपराध, रेप व गैंगरेप रेप, गरीबी, हिंसा आदि। यदि हम सब ने मिलकर इन चीज़ों को रोकने का प्रयास नहीं किया तो हमारी स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं। भारत हमारा अपना देश है, यहां पर विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, लेकिन हम सबकी एकता ही हमारी शक्ति है। इसलिए अपने राष्ट्र को मजबूत बनाने में भी हम सबको एक साथ प्रयास करने होंगे।
इसलिए भारत सरकार पिछले साल की तरह इस साल 2022 में भी आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाएगी, जिसका उद्देश्य है कि हम विभिन्न मंत्रालयों, विभागों तथा भारत की सरकारों के सामान्य कार्यों में बदलाव लाना चाहते हैं। यह अमृत महोत्सव भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में प्रारंभ किया गया था, जो 2023 तक जारी रहेगा।
इसी के साथ मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूं/ करती हूं।
-|| धन्यवाद ||-
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भारत के स्वतंत्रता दिवस 2022 पर भाषण (Speech on 15 August in Hindi for Students) प्रारूप २
जनवरी 23, 2022 “Speech on 15 August in Hindi for Students” by क्षमाश्री दुबे
हम सभी भारतीयों के लिए 15 अगस्त एक स्वर्णिम दिन है । इस दिन हमारा 200 साल तक किया गया स्वतंत्रता का संघर्ष पूरा हुआ था। अपने भाषण की शुरुआत मैं गया प्रसाद शुक्ला जी की लाइनों से करना चाहूंगी कि-
जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिस में रस धार नहीं,
वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिस में स्वदेश का प्यार नहीं।
ये पंक्तियां हर पीढ़ी के रगों में उर्जा और देशप्रेम की भावना घोल देती हैं।
हम भारतीयों से अच्छा कौन स्वतंत्रता के महत्व को जान सकता है । इस मिट्टी स्वतंत्रता के लिए न जाने कितने लोगों ने अपना लहू बहाया है ।अपने अस्तित्व का बलिदान दिया है ,आने वाली पीढ़ियों को एक स्वतंत्र राज्य और माहौल देने के लिए। स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए देश की स्वतंत्रता के लिए। हमें भूल कर भी अपने जीवन में क्रांतिकारियों का अभिवादन करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि उनका हम पर अतुल्य एहसान है । न जाने कितने वर्ष कितने स्वतंत्रता सेनानी जेल में रहे ,ब्रिटिश ऑफिसर्स की असहनीय प्रताड़ना सही, फिर भी मुंह से उफ तक नहीं की। हंसते -हंसते अपनी जान इस मिट्टी पर न्योछावर कर दिया।
पूज्यनीय महात्मा गांधी तो भारत के स्वतंत्रता की नींव है। उनके नेतृत्व बिना शायद 15 अगस्त, 1947 के बाद भी भारत आज़ाद ना हो पाता। उनके आंदोलन ‘क्विट इंडिया मूवमेंट’ और ‘असहयोग आंदोलन’ ने स्वतंत्रता के संघर्ष में ब्रिटिश आर्मी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी की। उनके अनशन
के कारण आर्मी को अपने विभिन्न प्रकार के टैक्स और नियमों को बदलना पड़ा। दरअसल उनके व्यक्तित्व की प्रसिद्धि विश्व भर में थी, इसी कारण भारत में जो भी होता वह विश्व के सारे अखबारों में छप जाता था । जिससे ब्रिटिश आर्मी बचना चाहते थे । वे अपना और अपनी सरकार का प्रभाव और चित्रण भारत के लिए अच्छा रखना चाहती । इसलिए उन्हें गांधी जी की बात माननी ही पड़ी।
पूज्य श्री बाल गंगाधर तिलक, विपिन विपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय ने ना जाने आंदोलनों को अपने नेतृत्व में कितने आंदोलनों को संभाला और युवा कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ते गए। इन तीनों को त्रिमूर्ति कहा जाता था और ‘लाल बाल पाल’ के नाम से जाना जाता था। इनमें से लाला लाजपत राय जी के तो अंतिम क्षण भी काफी पीड़ा में गुज़रे। जब वह ‘साइमन गो बैक ‘आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे तब एक ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर ने उन पर लाठी चला दी जिसकी वजह से उनके सिर पर गहरी चोट आई और इसी कारण उनकी मृत्यु हो गई।
इन्हीं की मृत्यु का बदला लेने की क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद ने ठान ली और उनके साथ इस आंदोलन में कई और युवा क्रांतिकारी जुड़े, जिनमें मुख्यतः भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु बड़े देशप्रेमी थे। इन युवा क्रांतिकारियों ने देश की सो रही युवा पीढ़ी को जगा दिया और अपने बलिदान से अपनी भारत माता को नमन किया । महज़ 24 साल की उम्र में ये इस देश की स्वतंत्रता के लिए कुर्बान हो गए और जाते-जाते अपना संदेश छोड़ गए । स्वतन्त्रता सेनानी भगत सिंह द्वारा लिखा गया कथन
‘लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा, मेरे लहू का हर कतरा इंकलाब लाएगा’।
उनका गीत ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ आज भी हर भारतीय अपनी ज़बान से गुनगुना ही उठता है।
डॉक्टर सुभाष चंद्र बोस आज़ादी की लड़ाई में एक ऐसा गुमनाम नाम हैं जिनके मृत्यु का इतिहास आज तक किसी को नहीं पता। यह बहुत बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होंने दूसरे देशों में जाकर उनसे मदद मांगी और वहां अपनी भारतीय सेना एकत्रित की , उन्हें सही तरीके से ट्रेनिंग दी ताकि वह ब्रिटिश आर्मी से अपने आज़ादी की जंग लड़ सके और सेना का नाम रखा ‘आजाद हिंद फौज’ और इसमें सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएँ भी शामिल थी। इन महिलाओं की टुकड़ी का नाम उन्होंने लक्ष्मी बाई के नाम पर रखा था – ‘ द रानी ऑफ़ झांसी रेजिमेंट’। उनके व्यक्तित्व के बारे में पढ़ना आज भी रग-रग में देशप्रेम घोल देता है। उनके आंदोलनों और संघर्ष को पढ़कर नसों में आज फिर अच्छा और उर्जा आभास होता है । इनके स्वतंत्रता की जंग बहुत प्रेरणादायी है। यह देश बदलने में बहुत बड़े माहिर थे जिसकी वजह से ब्रिटिश आर्मी इन्हें पकड़ने में कभी सफल नहीं हुई।
क्रांतिकारियों के क्रम में सबसे मशहूर महिला क्रांतिकारी है झांसी की रानी- रानी लक्ष्मीबाई। कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने इनपर एक कविता लिखी है कि-
‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ।’
रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही देश प्रेमी थी और शादी के बाद भी उनका यह प्रेम अपनी भूमि के लिए बढ़ता ही गया। कौन कहता है कि एक लड़की मां बनने के बाद कमज़ोर हो जाती है, इसका स्वर्णिम उदाहरण रानी लक्ष्मीबाई हैं जिन्होंने पूरा युद्ध अपने बेटे को अपनी पीठ पर बांधकर लड़ा । अपने पति की मृत्यु के बाद उन्होंने झांसी के महल की रक्षा की पर उनके ही एक मंत्री ने उनकी पीठ पर वार कर दिया क्यों से एक औरत के नेतृत्व में युद्ध लड़ना स्वीकार नहीं था। इस वजह से रानी लक्ष्मीबाई हार गई पर उन्होंने अपने आप ही खुद को आग में झोंक दिया पर ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर को उन्हें छूने तक नहीं दिया। उन्होनें अपने आत्मसम्मान और स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए यह कदम उठाया था ।
सरदार वल्लभ भाई पटेल, जिन्होंने देश को एकत्रित किया इसका विभाजन से बचाया, जिन्हें ‘आयरन मैन ऑफ इंडिया ‘ भी कहा जाता है। उनके सहयोग के बिना शायद आज भारत देश भारत नहीं होता , कई अन्य देशों में बंट चुका होता। हम उनके इस एहसान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे। डॉक्टर बी .आर. अंबेडकर जिन्होंने पूरे विश्व में हमारे देश भारत का सबसे बड़ा संविधान बनाया अभिवादन है उनको । हर जाति, हर वर्ग के लिए उनके अधिकार की सुरक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ कानून बनाया । आज उनकी वजह से ही हम गणतंत्रता दिवस का स्वर्णिम दिन 26 जनवरी को मना पाते हैं ।
मैं जितने नाम पढ़ लूँ उतने कम हैं। आप गिनती करते रह जाएंगे पर इन क्रांतिकारियों के नाम नहीं गिन पाएंगे। पंडित जवाहरलाल नेहरू, कस्तूरबा गांधी ,डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ,अशफाक उल्लाह खान, दादा भाई नावरोजी, जमशेद जी टाटा, तात्या टोपे, नानासाहेब, मंगल पांडे।
हम नाम लिखते रह जाएंगे पर ये कभी खत्म नहीं होंगे ,इतिहास के पन्नों पर ये नाम जड़ चुके हैं। इसलिए दोस्तों आइए स्वतंत्रता दिवस पर ये शपथ लें कि कि हम इनके संघर्ष को व्यर्थ नहीं जाने देंगे और इस मिट्टी की रक्षा के लिए अपना कण-कण बलिदान कर देंगे । इसकी उन्नति और प्रगति हमारा सबसे पहला धर्म होगा और इस धरती पर अगर किसी ने दोबारा आंख उठाकर भी देखा तो हम हिमालय पर्वत की तरह उसके सामने डटकर इस मातृभूमि की रक्षा के लिए खड़े हो जाएंगे ।
‘जय जवान जय किसान ‘ जयहिंद।
-|| धन्यवाद ||-
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विनम्र अनुरोध:
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