Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi Language | अब्दुल कलाम पर हिंदी निबंध 

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Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi Language | अब्दुल कलाम पर हिंदी निबंध 
Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi Language | अब्दुल कलाम पर हिंदी निबंध 

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Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi Language
अब्दुल कलाम पर हिंदी निबंध

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हमारे देश भारत में अनगिनत महापुरुषों ने जन्म लिया है और अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित किया है। इन अनगिनत नामों में ए० पी० जे० अब्दुल कलाम का नाम अग्रणी है। अब्दुल कलाम जी का जीवन देश के हर युवा व हर नागरिक के लिये एक प्रेरणास्रोत हैं। उनका योगदान अतुलनीय है तथा अविस्मरणीय भी। उन्हें हमारे देश का मिसाइल तकनीकों का जनक माना जाता है। साथ ही वो हमारे देश के राष्ट्रपति भी रहे हैं। इस निबंध में आप अब्दुल कलाम जी के जीवन से जुड़ी वो हर महत्वपूर्ण बात जानेंगे जिसने उन्हें अब्दुल कलाम बनाया। आइये उनके बचपन से शुरू करते हैं-

अब्दुल कलाम का जन्म तथा बचपन(Birth, Childhood and Education of Abdul Kalam)

अब्दुल कलाम का जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम जिले में हुआ था। उनके पिता नाम जैनुलआबदीन नावों को बनाकर बेचने और किराये पर देने 

का काम करते थे तथा माता आशियम्मा एक गृहिणी थीं। अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम था।

क्यूँकि रामेश्वरम में हिंदू धर्म के लोग बड़ी

संख्या में निवास करते और साथ कुछ ईसाई लोग भी रहते थे, इसीलिये बचपन से ही ये सभी धर्म के लोगों के बीच रहे। इनके पिता ने इन्हें व्यवाहारिक ज्ञान दिया। अपनी शुरुआती पढाई पूरी करने के बाद ये पास के शहर रामनाथपुरम के श्वार्टज हाईस्कूल चले गए। उस स्कूल में इनके अध्यापक सालोमन, जो कि एक ईसाई थे, ने तीन शक्तियों के बारे में बताया जो सफलता के लिये जरूरी हैं- इच्छा, खुद पर विश्वास और उम्मीद न हारना। 

ए०पी०जे० अब्दुल कलाम की शिक्षा(APJ Abdul Kalam’s Education)

1950 में उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से BSC पूरा

किया। जब ये मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी से इंजीनयरिंग करना चाहते थे तो इनकी बहन जोहरा ने इनकी मदद की और अपने गहने बेचकर फीस दी । इन्हें कॉलेज में स्कॉलरशिप मिल गयी ।

एक बार जब इनके प्रोफेसर ने इनको एक फाइटर जेट का मॉडल डिजाइन

करने को कहा तो पहली कोशिश में बहुत खराब डिजाइन तैयार हुआ लेकिन 3 दिन में ही उस डिजाइन को सुधार कर इन्होंने अपनी स्कॉलरशिप कैंसिल होने से बचा ली।

आपके सपने वो नहीं होते जो आप सोते वक़्त देखते हो, सपने तो वो होते हैं जो आपको सोने ही नहीं देते – डा ए० पी० जे० अब्दुल कलाम

एयर फोर्स वैज्ञानिक से इसरो तक

का सफर(From an Airforce Scientist to ISRO Member)

अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद ये एयर फोर्स में वैज्ञानिक के तौर पर काम करने लगे। वहाँ इन्होंने प्रोजेक्ट नंदी, यानि एक हॉवरक्राफ्ट का कम समय में विकास और सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

परीक्षण के दौरान वहाँ INCOSPAR (इसरो का पूर्व नाम) सदस्य भी के मौजूद थे। वो इनसे काफी प्रभावित हुए और इन्कोस्पार मेंबर के लिए इंटरव्यू का ऑफर दिया। खुद विक्रम साराभाई, जोकि INCOSPAR(इन्कोस्पार) के अध्यक्ष थे, उन्होंने इनका इंटरव्यू लिया और इन्हें INCOSPAR के सदस्य के रूप में चुन लिया गया 

नवंबर 1963 में INCOSPAR ने केरल राज्य के थुंबा में देश का पहला रॉकेट लॉचिंग स्टेशन स्थापित किया। इसे TERLS यानि Thumba Equatorial Rocket Launching Station नाम दिया गया

साल 1969 में ISRO की स्थापना हुई जो INCOSPAR का ही नया रूप था | जब कलाम सर अमेरिका के नासा से अपना प्रशिक्षण पूरा करके वापस भारत आए तो उन्होंने डाक्टर विक्रम साराभाई के विजन, जो कि स्वदेशी Satellite launching vehicles को बनाना था, उस पर काम शुरू किया। 

कई प्रयासों के बाद SLV की कमियों को दूर किया गया परन्तु testing से पहले ही डाक्टर साराभाई की मृत्यु हो गई। यह देश के लिए बड़ी क्षति थी। लेकिन एक सुंदर भविष्य के लिए इन परीक्षणों को किया गया और इनमें सफलता भी प्राप्त की।

देश के मिसाइल कार्यक्रमों एवं परमाणु परीक्षण में भूमिका(Role in Missile programmes and nuclear tests)

हम उस समय पाकिस्तान और चीन के दुष्प्रपंचों का सामना कर रहे थे। पाकिस्तान और चीन के साथ हुए युद्धों में हमें मिसाइल तकनीक की कमी बहुत खली थी। इसलिए अब अब्दुल कलाम सर का अगला लक्ष्य मिसाइलों का विकास करना था। इसलिए साल 1982 में अब्दुल कलाम को DRDO के डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया। और उनके मार्गदर्शन में हमने पांच स्वदेशी मिसाइलों का विकास किया जिनके नाम पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल, नाग तथा अग्नि थे। इसी के साथ हम high defence technology वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गए। अब्दुल कलाम सर के इस योगदान के कारण ही उन्हें मिसाइल मैन ऑफ इण्डिया कहा जाता है।

एक अन्य क्षेत्र परमाणु ऊर्जा का था, जिसमें हमने सफलतापूर्वक परीक्षण नहीं किए थे। परंतु अब्दुल कलाम को जब 1998 में Atomic energy sector का head बनाया तो हमारी परमाणु तकनीक विकसित होती गई। और अन्ततः 11 वो 13 भी को हमने अमेरिकी सैटेलाइटों को चकमा देकर सफल परमाणु परीक्षण किया। भारत भी एक परमाणु समृद्ध राष्ट्र बन गया था। 

अपने कार्यकाल में दर्जनों प्रोजेक्ट को सफल कराकर अब्दुल कलाम तमिलनाडु के अन्नामलाई विश्वविद्यालय में बतौर प्रोफेसर पढ़ाने लगे। उनका उद्देश्य था कि युवा पीढ़ी को प्रेरित कर तथा उनका मार्गदर्शन कर सकें।

अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो -डा ए० पी० जे० अब्दुल कलाम

निष्कर्ष(Conclusion)

दोस्तों अब्दुल कलाम एक ऐसी शख्सियत हैं जिनके जीवन को शब्दों से समझाया नहीं जा सकता। अपने अध्यापन कार्यकाल के बाद भी वे एक राष्ट्रपति के रूप में भी देश को दिशा दिखाते रहे। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण तथा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी साल 1997 में सम्मानित किया गया था। परंतु उनका योगदान इन सब सम्मानों से कहीं ज्यादा है।

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