आपदा प्रबंधन पर निबंध (Essay on Disaster Management in Hindi )

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आपदा प्रबंधन पर निबंध
Essay on Disaster Management in Hindi
Aapda Prabandhan Par Nibandh


🗣️ आपदा प्रबंधन पर निबंध (Essay on Disaster Management in Hindi / Aapda Prabandhan Par Nibandh) पर यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए और अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लिखा गया है।


आपदा प्रबंधन पर निबंध प्रारूप १


भूकंप, बाढ़, सुनामी, सूखा, जंगलों में आग लगना, यह सभी प्राकृतिक आपदाएँ हैं। इनके कारण जान और माल दोनों की क्षति होती है। यह आपदाएँ इमारतों को गिराती हैं, भूखमरी पैदा करती हैं, बीमारी का कारण बनती हैं, और यहां तक कि जीव-जंतुओं की जान तक ले लेती हैं। इनसे बचने के लिए सरकार तो काम कर ही रही है। साथ ही आम जनता को कैसे इससे बचना चाहिए, इसके बारे में हम आपको इस पोस्ट ‘आपदा प्रबंधन पर निबंध‘ में बताने जा रहे हैं।

आपदा क्या होता है (What is Disaster in Hindi)?

आपदा एक ऐसा जोखिम होता है, जो प्रकृति और मानव द्वारा घटित होता है। कुछ आपदाएँ ऐसी होती हैं, जिनका पता सरकार द्वारा लगाया जा सकता है। पहले से जानकारी होने के कारण ऐसी आपदाओं में काफी हद तक जान व माल की सुरक्षा कर ली जाती है। वहीं कुछ आपदाएँ आकस्मिक होती हैं, जिनके बारे में चाहते हुए भी सरकार जानकारी हासिल नहीं कर पाती। और ऐसी आपदाएँ जान और माल दोनों को हानि पहुंचाती हैं।

आपदा के प्रकार कितने होते हैं (Types of Disaster in Hindi) –

आपदाएँ तो वैसे कई तरह की होती हैं, लेकिन जो मुख्य होती हैं, उन्हें दो भागों में बांटा गया है –

  1. प्राकृतिक आपदा
  2. मानव जनित आपदा

(1) प्राकृतिक आपदा (Natural Calamity) –

प्राकृतिक आपदा वह आपदा होती है, जो प्रकृति द्वारा उत्पन्न होती है। इसके अंतर्गत भूकंप, बाढ़, सूखा, सुनामी, ज्वालामुखी, भूस्खलन, समुद्री तूफान, आकाशीय बिजली का गिरना, बादल का फटना, तापलहर, जंगलों में आग का लगना, शीतलहर आदि शामिल हैं।

(2) मानव जनित आपदा (Man-Made Disaster) – 

मानव जनित आपदा वह आपदा होती है, जो मानव की लापरवाही के कारण उत्पन्न होती हैं। इस आपदा के अंतर्गत मिट्टी का कटाव, बम विस्फोट, रासायनिक कारखानों से जहरीली गैसों का रिसाव होना, नाभिकीय रिएक्टर संयंत्रों से रेडियो एक्टिव रिसाव का होना, मानव जनित भूस्खलन, जनसंख्या विस्फोट, भीषण रेल वायुयान दुर्घटनाएं, महामारी, आग लगना आदि आते हैं।

आपदा के कारण (Cause of Disaster in Hindi) –

बाढ़, सूखा, भूकंप, सुनामी, आग का लगना आदि ऐसी आपदाएँ हैं, जिनके उत्पन्न होने के पीछे निम्नलिखित कारण होते हैं –

  • बाढ़ आने के पीछे जो मुख्य कारण हैं वो जल स्रोत का अधिक बढ़ना, बर्फ का अधिक पिघलना, नदियों में पानी का स्तर बढ़ना आदि हैं। 
  • जब वर्षा में ज़्यादा कमी होती है तब सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
  • जब पृथ्वी की सतह के अंदर विभिन्न टेकटोनिक प्लेटें खिसकती हैं तो भूकंप जैसी आपदा उत्पन्न होती है। 
  • समुद्र तल के नीचे जो तेज़ कंपन होता है वही सुनामी कहलाता है। इसके मुख्य कारण भूस्खलन और ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं।  
  • इसके अलावा आग भी गंभीर आपदा है, जो कई लापरवाहियों की वजह से लग जाती हैं। आग नगरों और जंगलों दोनों जगहों पर लगती हैं। नगरों में लगने वाली आग घर में जलने वाले गैस स्टोव, कोरोसिन स्टोव आदि से लगती हैं। वहीं जंगलों या सन्नाटे इलाकों में बिजली के तार के शॉर्ट सर्किट से आग लग जाती है।

प्रभाव (Effect) –

  • बाढ़ के कारण उपजाऊ मिट्टी बहकर चली जाती है, लोगों की मौत होती है, भयानक व जानलेवा बीमारियां फैलती हैं। लोगों के सामान और फसलों की बर्बादी आदि होती है।
  • सूखा के कारण लोग पानी के मोहताज हो जाते हैं। पानी की कमी की वजह से फसलें बर्बाद होती हैं, जिससे सबसे ज़्यादा तकलीफ किसानों और गरीबों को होती है।
  • भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसके कारण लोगों की जानें तो जाती ही हैं। साथ ही बड़ी बड़ी इमारतें भी गिर जाती हैं। रेल, बिजली और संचार सुविधा ठप पड़ जाती है।
  • सुनामी लहरें समुद्री तट पर बुरी तरह हमला करती हैं, जिससे कि लोगों की जान का तो खतरा रहता ही है, साथ ही माल की हानि भी होती है।
  • आग एक ऐसी आपदा है, जो फैलती चली जाती है। यदि इसपर क़ाबू नहीं किया जाता तो इससे बड़ी बड़ी इमारतें, बस्तियां, कारखाने आदि जलकर खाक हो जाते हैं। इसके अलावा जानवरों और इंसानों की मौत हो जाती हैं।

“बहुत आसान होता है कुछ भी यूँ ही कह जाना,

बहुत ही मुश्किल होता है आपदाओं के साथ जीना।”

आपदा प्रबंधन व उपाय (Disaster Management and Measures) –

आपदा से बचने के तरीके खोजना या आपदा आने के बाद उससे जल्द से जल्द वापस निकालना ही आपदा प्रबंधन या आपदा का उपाय कहलाता है। आपदा प्रबंधन के अंतर्गत निम्नलिखित उपाय शामिल हैं –

(1) बाढ़ से बचने के उपाय –

  • बिजली के तार से दूर रहें और बिजली का मेन स्विच ऑफ कर दें।
  • गैस और पानी की लाइनें बंद कर दें
  • बहते हुए पानी में पैदल न चलें, क्योंकि 6 से 7 इंच की गहराई पर बहने वाली तेज़ बहाव वाली पानी में आप बह भी सकते हैं।

(2) सूखा से बचाव के उपाय –

  • नहरों के द्वारा हमें अधिक सिंचाई से बचना चाहिए, जिससे कि जलस्तर के कम न हो और न ही मिट्टी में लवण एवं क्षार बढ़ सके।
  • अलग अलग तरीके से जल की बचत करनी चाहिए, ताकि सूखे जैसे स्थिति में वह काम आ सके।

(3) भूकंप से बचने के उपाय –

  • भूकंप की खबर सुनते ही आप किसी खुले मैदान में आकर खड़े हो जाएं, जहां पर कोई इमारत या पेड़ न हों।
  • यदि घर में हैं तो किसी मजबूत चीज़ को पकड़ लें और अलमारी या चोट लगने जैसी चीज़ों से दूर रहें। साथ ही रेडियो सुनते रहें, ताकि आपको भूकंप से संबंधित खबर मिलती रहे।

(4) सुनामी से बचाव के उपाय –

  • समुद्रीय तटवर्ती इलाकों से दूर चले जाएं।
  • सुनामी आने से पहले दी गई चेतावनी पर खास ध्यान रखें तथा मौसम से संबंधित खबरे सुनें।
  • जानवरों और पंछियों की गतिविधियों पर ध्यान ध्यान दें।

(5) आग से बचने के उपाय –

  • एलपीजी सिलेंडर का अनावश्यक भंडारण करने से बचें।
  • आग लगने पर लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।

इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए सरकार ने साल 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम जारी किया था। वहीं हमारी सरकार ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट की स्थापना भी की है, जिससे कि आपदाओं से बचाव हो सके। 

इन सभी के साथ-साथ सरकार द्वारा लोगों को आपदा से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करने के लिए  समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं। लोगों को विज्ञापनों तथा नुक्कड़ सभाओं के द्वारा भी जागरूक किया जाता है।

एक ज़िम्मेदार और समझदार नागरिक होने के नाते सभी लोगों को चाहिए कि आपदा की स्थिति में घबराने की बजाय समझदारी से काम लेते हुए पूरे संयम के साथ सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करें। साथ ही स्वयं एंव अन्य की यथासंभव सहयोग और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। 



आपदा प्रबंधन पर निबंध प्रारूप २


बाढ़, सूखा, भूस्खलन, सुनामी, भूकंप आदि ऐसी भयंकर आपदाएं हैं, जिन्हें रोका या खत्म नहीं किया जा सकता। लेकिन इन आपदाओं से जान और माल का ज़्यादा नुक्सान न हो, इसलिए आपदा प्रबंधन करना आवश्यक है। इन आपदाओं के बारे में लोगों को जागरूक करना, इनसे बचने के उपाय करना, आपदा आने के बाद लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना आदि चीज़ें आपदा प्रबंधन के अंतर्गत आती हैं।

जो लोग किसी ऐसे क्षेत्र में निवास करते हैं, जहां पर ऐसी भयंकर आपदाएं आती रहती हैं, तो ऐसे लोगों को इन आपदाओं से बचाव के लिए जागरूक होना बहुत ज़रूरी है। इस पोस्ट में हम आपको विभिन्न प्रकार की आपदाओं और उन आपदा प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताएंगे। इसलिए इस आपदा प्रबंधन पर निबंध को आप आखिर तक ज़रूर पढ़ें। 

प्रस्तावना (Introduction) –

आपदाएं मानव के लिए बहुत ही भयंकर चीज़ होती है। यह आकर चली तो जाती हैं, लेकिन इनका प्रभाव वर्षों तक रहता है। जो दर्द, जो तकलीफ, जो सदमा और जान व माल का जो नुक्सान इनसे होता है, उससे उभरने में लोगों को सालों लग जाते हैं। इसके अलावा आपदाएं देश के विकास में भी बाधा डालती हैं। आपदाओं के कारण देश का विकास चार से पांच साल पीछे चला जाता है। आपदाओं को खत्म करना या उन्हें कम करना तो मनुष्य के हाथ में नहीं है। लेकिन सरकार व प्रशासन आपदा प्रबंधन को मजबूत करके जान और माल के अधिक नुक्सान से लोगों को बचा सकते हैं।

आपदा प्रबंधन का अर्थ (Meaning of Disaster Management in Hindi) – 

‘आपदा’ का अर्थ होता है, कोई बड़ा संकट, जबकि ‘प्रबंधन’ का मतलब होता है, रोकथाम या तैयारी। इस तरह ‘आपदा प्रबंधन’ का अर्थ किसी भी बड़े संकट की रोकथाम या उससे निपटने के उपाय करना है। 

आपदा प्रबंधन क्या होता है (What is Disaster Management in Hindi)?

आपदा प्रबंधन प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के आने पर मनुष्य के जीवन और संपत्ति को बचाने, आपदा के प्रभाव को कम करने, अधिक जोखिम को कम करने की प्रक्रिया होती है। आपदा प्रबंधन को नियंत्रित करने के लिए पहले से योजना बनाई जाती है, जिसके द्वारा ऐसी भयानक आपदाओं से बचाव किया जाता है।

आपदा प्रबंधन का महत्व (Importance of Disaster Management in Hindi) –

आपदा प्रबंधन हमारे देश, राष्ट्र के विकास और देश में रहने वाले लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। आपदा प्रबंधन करके जहां लोगों की जानें बचाई जाती हैं, वहीं यह मनुष्य के माल को बर्बादी से भी बचाता है। इसके अलावा आपदा प्रबंधन करने से कई प्रकार की बीमारियों की रोकथाम की जाती है। फसलों को नष्ट होने से बचाया जाता। लोगों को आपदा वाली जगह से बचाकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाता है। आने वाली आपदा के बारे में लोगों को पहले से खबर दे दी जाती है, जिससे कि लोग आपदा आने से पहले ही उस जगह से हट जाएं।

आपदाओं के प्रकार (Types of Disasters in Hindi) –

आपदाएं जो होती हैं, वो मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं –

  1. प्राकृतिक आपदाएं
  2. मानव निर्मित आपदाएं

(1) प्राकृतिक आपदाएं (Natural Disasters in Hindi) –

प्राकृतिक आपदाएं वो आपदाएं होती हैं, जो प्रकृति द्वारा उत्पन्न होती हैं। जिनके बारे में मानव को पहले से नहीं पता होता। प्राकृतिक आपदाओं के अंतर्गत – बाढ़, सुनामी, सूखा, भूस्खलन, भूकंप, ज्वालामुखी, वनों में आग लगना, तापलहर, शीतलहर, तूफानी लहर, आकाशीय बिजली गिरना, बादल फटना आदि आते हैं।

(2) मानव निर्मित आपदाएं (Man-Made Disasters in Hindi) –

मानव निर्मित आपदाएं वो आपदाएं होती हैं, जो मानव के द्वारा उत्पन्न होती हैं। मानव अपने स्वार्थ और आवश्यकताओं के लिए प्रकृति से खिलवाड़ करता है, जिस कारण यह आपदाएं उत्पन्न होती हैं। मानव निर्मित आपदाओं में – बम विस्फोट, वायुयान दुर्घटनाएं, रेल दुर्घटनाएं, जनसंख्या विस्फोट, रासायनिक कारखानों से रिसने वाली जहरीली गैसें, मिट्टी का कटाव, मानव जनित भूस्खलन, मानवजनित महामारी, आग लगना इत्यादि।

आपदा के प्रभाव (Effects of Disasters in Hindi) –

• बाढ़ जैसी आपदा आने पर लोगों की जानें जाती हैं। खतरनाक बीमारियां फैलती हैं। फसलें खराब हो जाती हैं। पीने के पानी की कमी हो जाती है। लोगों के घर डूब जाते हैं और लोगों के सामान बह जाते हैं।

• भूकंप और भूस्खलन आने पर लोगों के घर गिर जाते हैं, बड़ी बड़ी इमारतें ढह जाती हैं, जमीन फट जाती है। वहीं इन सब हादसों से लोगों की जानें चली जाती हैं।

• सूखा यानि वर्षा न होने या कम वर्षा होने के कारण पानी की कमी। सूखा की वजह से लोग बूंद बूंद को तरसते हैं, फसलें सूख जाती हैं, यहां तक कि पानी की कमी से लोगों की जान तक चली जाती है।

• परमाणु बम के कारण लोगों की मृत्यु तो होती ही है, साथ ही विभिन्न प्रकार की बीमारियां और महामारी भी फैल जाती हैं।

• आग प्राकृतिक हो या मानव निर्मित दोनों ही लोगों की जानें लेती हैं। साथ संपत्ति को भी जलाकर रख देती है। इसके अलावा जंगलों में लगने वाली आग जानवरों और पंछियों की जान ले लेती है।

आपदा प्रबंधन के उपाय (Disaster Management Measures in Hindi) –

आपदा प्रबंधन के लिए निम्नलिखित उपाय करके हम बड़ी बड़ी आपदाओं के प्रभाव से खुद को बचा सकते हैं –

• बाढ़ जैसी आपदा को रोकने के लिए अधिक से अधिक वृष्क्षारोपण करना चाहिए। जहां पर जल संग्रहण हो रहा हैं, उसके आस पास भी वृक्षारोपण करना आवश्यक है। इसके अलावा छोटी बड़ी हर नदी पर अच्छे बांध बनाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए।

• सूखा जैसी स्थिति को रोकने के लिए अधिक से अधिक जल का संग्रहण करना चाहिए। घर और खेत दोनों जगह के पानी को संग्रहित करके उसका इस्तेमाल करें। इसके अलावा नदियों, तालाबों, झीलों आदि के पानी की मात्रा पर ध्यान रखना चाहिए।

• भूकंप जैसी आपदा से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए, ताकि वो किसी ऐसी जगह पर घर न बनाएं जहां पर भूकंप अधिक आता है। इसके अलावा जिस स्थान पर भूकंप की समस्या ज़्यादा होती है, वहां पर घर और इमारतों की डिजाइन इंजीनियर की सहायता से बनवानी चाहिए। वहीं नर्म मिट्टी में घर या इमारत का निर्माण नहीं करना चाहिए।

• बम विस्फोट सार्वजनिक जगहों जैसे मंदिर, मस्जिद, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट आदि पर ही होता है। इसलिए ऐसी जगहों पर यदि बम या कोई ऐसा पैकेट दिखता है, जो अलग से रखा हो या जो कुछ संदिग्ध हो तो उसे टच नहीं करना चाहिए। बल्कि पुलिस को कॉल करके बुलाना चाहिए।

• खतरनाक व जहरीली गैसों का प्रयोग एक सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, और उनसे बचने के उपाय के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion) –

प्राकृतिक आपदाओं को रोकना और उन्हें नियंत्रित करना हमारे बस में नहीं है। लेकिन हम मानव निर्मित आपदाओं को कम करने में अपना योगदान जरूर दे सकते हैं। इसलिए सरकार के साथ ही हम सबको मिलकर आपदा प्रबंधन के उपाय ढूंढने चाहिए। साथ ही उपलब्ध उपायों का शख्ती से पालन करना चाहिए। इससे हम बड़े से बड़े संकट से बच सकते हैं, और अपने साथ-साथ अपने देश के सतत विकास में भी अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।


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विनम्र अनुरोध:

इस तरह “आपदा प्रबंधन पर निबंध (Essay on Disaster Management in Hindi / Aapda Prabandhan Par Nibandh)” यहीं पूरा होता है। हमने अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए पूरी कोशिश की है कि इस आपदा प्रबंधन पर निबंध में किसी भी प्रकार की त्रुटि ना हो। फिर भी यदि आप को इस निबंध में कोई गलती दिखती है तो आप अपना बहुमूल्य सुझाव ईमेल के द्वारा दे सकते है। ताकि हम आपको निरन्तर बिना किसी त्रुटि के लेख प्रस्तुत कर सकें।

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