बढ़ती महंगाई पर निबंध (Badhti Mehangai par Nibandh)

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बढ़ती महंगाई पर निबंध
Badhti Mehangai par Nibandh


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प्रस्तावना

विश्व में लोगों कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं। एक अच्छा जीवन जीने के लिये आज के समय में आर्थिक तौर पर सबल होना अति आवश्यक है। एक ओर जहाँ कुछ लोग अपने व्यापार कौशलों से अच्छा खासा धन अर्जित कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर दैनिक मजदूरी पर काम करने वाले निम्नवर्ग व मध्यम वर्ग के लोग महँगाई से बहुत परेशान हैं। हालांकि महँगाई की समस्या अभी से नहीं है। और जब से इंसान के तकनीकी खर्चे अधिक बढ़ गए हैं महँगाई और भी अधिक सताने लगी है। हमारा देश भारत एक विकासशील देश है। यहाँ की प्रति वर्ग आय विश्व के अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। आइये अब जानते हैं महँगाई के प्रभावों व इसे प्रभावित करने वाले कारकों के संबंध में कुछ बातें-

एक सामान्य व्यक्ति पर महँगाई के प्रभाव

एक इंसान के तौर पर हमें कई तरह की जरूरतों को पूरा करना होता है। खाने से लेकर यात्रा करने तक और नहाने आदि से लेकर नवीन सुविधाएं को इस्तेमाल करना आज के इंसान की जरूरत बन चुकी हैं। साधारण व्यक्ति, जिनमें निम्न वर्ग व मध्यम वर्ग के नौकरी पेशा व मजदूरी पर काम करने वाले लोग आते हैं, अपने मासिक खर्चे का लगभग 95 से अधिक प्रतिशत तमाम जरूरतों में खर्च कर देते हैं। उन्हें बचत करने के लिये धन का काफी कम उपयोग करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो भविष्य के लिये व बच्चों की पढ़ाई के लिये अपने लिये न्यूनतम सुविधाओं का लाभ लेते हैं। वे अधिक से अधिक अपने व बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिये संचित करते हैं।

इन सब दिक्कतों के बीच लोग महँगाई से भी प्रतिदिन जूझते हैं। कई परिवारों को तो अच्छा खाना व अच्छा घर भी नसीब नहीं हो पाता। वे अपने बच्चों को भी नहीं पढ़ा पाते। हालात इतने अधिक खराब हो जाते हैं कि कभी कभी उपजने वाली विकट परिस्थितयों जैसे कोरोना महामारी में उन्हें जीवित रहने के लिये संघर्ष करना पड़ता है। वे अत्यंत सरल जीवन व्यतीत करते हैं और अपनी बचतों से घर का निर्माण व आवश्यक सुविधाओं को प्राप्त करते हैं। 


महँगाई के महत्वपूर्ण कारक

महँगाई के बढ़ने में कई कारक महत्वपूर्ण हैं। इन कारकों में किसी देश की अर्थव्यवस्था, उत्पादों की उत्पादन क्षमता तथा उनकी होने वाली खपत आदि मूल कारक हैं। आज के समय में जिस देश में किसी उत्पाद का अधिक उत्पादन होता है उसे वह कम मूल्य में मिल जाता है। परंतु यदि किसी देश में किसी विशेष उत्पाद या वस्तु की उत्पादन कारखाने कम संख्या में हों तो उसे बाहर के देशों से आयात करना होता है। जो वस्तु बाहर के देशों से आती है उस पर विभिन्न कर/टैक्स लगे होते हैं जिनसे उनका मूल्य और भी बढ़ जाता है। इसी से देश की अर्थव्यवस्था व व्यापारिक नीतियाँ तय होती हैं। यह देखा गया है जो देश सामान्य जरूरत की वस्तुओं का अधिकाधिक आयात करता है वहाँ वे वस्तुएं महँगी होती है। 

आज नवीन तकनीकों की खरीददार सारे विश्व में हैं। कई इसके लिये अधिक मूल्य भी चुकाते हैं। इसीलिये जो देश इन तकनीकों के निर्माण में अपनी अहम जगह बनाते हैं वे अधिक समृद्ध होते हैं। उनके देश में लोगों को सस्ती वस्तुएं भी उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा एक अन्य आवश्यक स्तंभ भी है जो महँगाई के नियंत्रित करता है। यह व्यापारियों द्वारा की गई जमाखोरी होती है। बहुत से बेईमान और लालची व्यापारी अपनी व्यवसाय की अलग-अलग वस्तुओं को कई जगहों से खरीद कर स्टोर कर लेते हैं। जब बाजार में उन वस्तुओं की कमी हो जाती है तो वे लोग अपने स्टोर किये सामान को अधिक दाम पर बेचते हैं। इससे लोगों को वस्तुएं महँगे दामों पर खरीदनी पड़ती हैं।

महँगाई दूर करने के उपाय

महँगाई को दूर करने के लिये सशक्त कदम उठाये जाने चाहिए। केवल कुछ लोगों का योगदान पाकर महँगाई को दूर नहीं किया जा सकता। इसे दूर करने के लिये देश के सभी लोगों का साथ व योगदान आवश्यक है। उदाहरण के लिये ऊपर जिन बेईमान और लालची व्यापारियों का हमने जिक्र किया, उन पर सख्त नियम लागू करने चाहिए। जमाखोरी करने के विरोध में हर व्यक्ति को एकमत होने की आवश्यकता है। दूसरी ओर जिन महँगाई के कारकों में से एक कर या टैक्स को भी कम से कम करना अहम भूमिका निभा सकता है। हालांकि लोगों को सामान आयात व निर्यात करने के यात्रा वहन से छुटकारा नहीं दिलाया जा सकता।

हम पढ़ते हैं कि ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है। परंतु समाज में आज हर कोई अपनी जेब भरने में लगा हुआ है। वे अधिकतम दामों पर अपना सामान व सेवाएं बेचते हैं। इससे निम्न व मध्यवर्ग सर्वाधिक शोषित होता है। ईमानदारी की यह नीति लगभग केवल एक कहावत का रूप रह गई है। लेकिन फिर भी चंद लोग अब भी मौजूद है जो इन नीति पर चलने में नहीं झिझकते। बहरहाल यहाँ तकनीक की चर्चा करना भी अति आवश्यक है। आज दुनियाभर से करोड़ों लोग हैं जो नए उपकरण व तकनीकें उपयोग करना चाहता है। तो नवीन तकनीक निर्यात करने वाले देशों में महँगाई का स्तर कम होता है क्योंकि वहाँ के लोगों की आमदनी अधिक होती है।

उपसंहार

महँगाई को एकदम से रातों रात दूर नहीं किया जा सकता। क्योंकि यह एकाएक नहीं बढ़ी है। जैसा कि हमने ऊपर वर्णन किया कि महँगाई विभिन्न कारकों पर निर्भर होती है। किसी भी कारक में थोड़ा सा भी बदलाव अहम परिवर्तन लाता है। महँगाई की अच्छी समझ अर्थशास्त्र व वाणिज्य आदि विषयों की मूल समझ से जन्म लेती है। आशा है आप इससे प्रेरित हुए होंगे और अर्थशास्त्र व वाणिज्य की ओर महँगाई के समाधान ढूँढ़ने को उत्सुक हुए होंगे।

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विनम्र अनुरोध: 

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